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५. १७.११]
हिन्दी अनुवाद पत्ता-कोई पैरमें सुन्दर कड़ा और हाथोंमें नुपुर देती है। इस प्रकार सारा नगर मानो कामके द्वारा सताया गया ॥१५॥
१६ जिसमें कुलधन, स्वजन, मोह, मान, उन्नति और नीड़ा ( लज्जा ) के अपहरणकी चेष्टा है, ऐसे उसके स्नेह विलासको स्त्रियां मनिव्रतकी तरह धारण करती हैं। वह सुन्दर कुमार गलीमें ज्यों-ज्यों खेलता है, वैसे-वैसे हृदयका अपहरण करता है, सौम्य सुदर्शन उस प्रथम कुमार बाहुबलिको देखती हुई किसीके द्वारा गालपर किया गया कोमल कर शरीरके सन्तापसे सरोवर जल निकालता है । विरहकी ज्वालासे किसीका मांस दग्ध हो गया। और धवल कमल भी नीलकमल हो गया। वसन्त माहके आ जानेपर भी कोई स्त्रो कामको सहन करती है, कोई प्रियके आगमनपर भी ( मानके कारण ) आहत है। कानन ( जंगल ) में मुकुलित जुही खिल गयी है, कोई स्त्री मुखपर मण्डन नहीं करती। नव-सहकार वृक्षके पल्लव निकल आये हैं, विरहिणीने सहकारमें अपनी शान्तिका त्याग कर दिया है। पतिको छोडकर कोयल आलाप करती है, सन्दरतामें ( सुभगत्व ) कोन धरतीको विभूषित करता है ? मुख पवनको सुगन्ध (परिमल ) से मिले हुए जो भ्रमर हैं, वे मानो कामदेवके बाण हैं। कोई कहती है- "हे प्रिय, मैं तुममें अनुरक्त हूँ, आज मेरी दुःखमें रात बीती है। कोई कहती है, "हे प्रिय, तुम मेरे बालोंको बांध दो, बंधा हुआ मालतीका फूल गिर गिया है।" कोई कहती है, "लो शीघ्र मुख चूम लो और किसीको तुम प्रतिवचन नहीं देना।"
पत्ता-कोई उसे नहीं छोड़ती और कहती है, "कोई भी बुरी बात मत करना। घर, धन और अपना चित्त भी सब कुछ तुम्हें समर्पित करती हूँ" ॥१६॥
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प्रियतमके मुखरूपी कमलके रसकी लालची कोई तरुणीरूपी भ्रमरी कानोंको सुख देनेवाला कुछ भी गुनगुनाती है, जो सुन्दर कामदेव महिलाओंके द्वारा माना जाता है उसकी उपमा किससे दी जाय? सुनन्दाके गर्भसे, रूपमें रमणीय उसकी एक बहन और उत्पन्न हुई; नवयौवनमें चढ़ती हुई वह अत्यन्त शोभित है; कलंकके कारण चन्द्रमा उससे लज्जित होता है। उसने चरणोंकी शोभासे रक्तकमलको जीत लिया है, इसी कारण उसने अपनेको पानीमें छिपा लिया। भौंहोंका टेढ़ापन, स्तनोंकी कठिनता, अधरोंकी अतिलालिमा, एक बार गिरनेके बाद आये हुए दांतोंकी धवलिमा और नेत्रोंकी चंचलता लोगोंको मारनेवाली है। उसके तुच्छ उदरके बीच में रहनेवाली नाभिकी गम्भीरता, तथा सोनेको जंजीर ( करधनी ) से दृढ़ताके साथ बंधे हुए परलोकविरोधी (परलोककी साधना करनेवालोंके लिए बाधक ) और आच्छादित नितम्बोंकी बढ़ती; सिरपर उगे हुए केशोंकी कुटिलता, पुरुषोंके ऊपर मानसकी कठिनता, देख लिया है दोष जिसने ऐसा ( व्यक्ति) अवश्य अमध्यस्थ (पक्षपात करनेवाला ) होता है, उसका मध्य ( भाग ) इसीलिए अमध्यस्थकी
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