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महापुराण
रचिता-करिसिरदलियरत्तलित्तुग्गयमोत्तियखइयकेसरो।
सिसुससिकुडिलचडुलविजुज्जलदाढाजुयलभासुरो ॥१॥ एहओ वि हरि विप्फुरियाणणु जासु भएण व सेवइ काणणु । णवजोव्वणि चडंतु परमेसरु सुरवरकरिकरथिरदीहरकरु । सो सिक्खविउ सपिउणा सव्वई कालक्खरइं गणियगंधव्वई। णाडयाइं बहुभावरसत्थई
णरणारिहि लक्खणई पसत्थई। तब्भूसायरणाइं विचित्तई वम्महचरियई हियवहुचित्तई। गंधपउत्तिउ रयणपरिक्खउ मंत तंत वरहयगयसिक्खउ । कोंतगयासिघायसंताणई
चक्कचावपहरणविण्णाणइं । देसदेसिभासालिविठाणई कइवायालंकारविहाणई। जोइसछंदतकवायरणइं
मल्लगाहजुज्झइं कयकरणइं। वेणिघंटोसहि वित्थारु वि बुज्झिउ सव्वलोयवावारु वि । चित्तलेप्पसिलवरतरुकम्मई एवमाइ अवराई मि रम्मई। घत्ता-पयणयसुरु तिहुयणगुरु जासु सई जि वक्खाणइ ।
अइविमलउ सो सयलउ कलउ कि ण परियाणइ ॥६।।
रचिता-पुणरवि णियसुयस्स सो णिवरिसि हवसेण भासए ।
गिरिथणिधरणितरुणिपरिपालणविहिविसयं पयासए ॥१॥ पभणइ पहु भो पढमणरेसर .. अत्थसत्थु णिसुणहि भरहेसर । ववसाएं सुसहाएं संपय
होइ णिरुत्तउ पयपाडियपय । अलसत्ते खलसंगें णासइ
सा मइ एह तुह सुय सीसइ । असहायहु जगि किं पि ण सिज्झइ हत्थि वे सुत्तसमूहें बज्झइ। जाइ णाव मारुइण विलग्गे जलइ जलणु तासु जि संसर्गे। मंति सूरु दुहसहु सुहि सहयरु तासु करेजसु कजि महायरु । जगि कज्जु जि मित्तारिहि कारणु तेण ण किजइ तहिं अवहेरणु । तं पि बुद्धिदारेण समुन्भइ बुद्धि वि वुड्डहं सेवइ लब्भइ । घत्ता-सिरपैलियहिं मुहवलियहिं मुँइ जराइ णिब्भच्छिय ।।
जे सत्थइ कम्मत्थइ कुसला ते मई इच्छिय ॥७॥
६. १. MBP णरणारी । २. P हयवरगय । ३. B वेज्ज । ४. MBP सयल । ७. १. MBP णिसुणिहि । २. MBP हत्थि वि। ३. MB सुहदुहसहु; P दुहसुहसहु । ४. MBP बुद्धि
चारेण । ५. B बुहसेवइ । ६. MP सिरि पलियहिं; B सरे पलियहिं । ७. MBP मुय ।
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