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महापुराण
[१.१४. १२ आसयर दिति सिक्खावयाइं णं मुणिवर गुणसिक्खावयाई। कप्पूरविमीसु पवासिएहिं जहिं पिज्जइ सलिलु पवासिएहिं । घत्ता-ससिपहपायारहिं गोउरदारहिं जिणवरभवणसहासहिं ।।
मढदेउलहिं विहारहिं घरवित्थारहिं वेसावासविलासहिं॥१४॥
१५ जं सोहइ जहिं अविहंडियाई . गैयणं व के उसयमंडियाइ । सिरिणिहियकणयकलसइं घराई णावइ अहिसित्तजिणेसराई। अवियाणियकरदप्पणविसेसि माणिक्कखइभित्तीपएसि । दीसइ सबिंबु महुमत्तियाहिं। मणिवि सवत्ति हम्मइ तियाहिं । जहिं अलिउलु अलयावलि मिलंतु · णिद्धाडिउ सासाणिलि घुलंतु । अंगणवावीसयदलहु जाइ जलकीलिरबालावयणि ठाइ । संजणियबहलमयरंदरंग
जहिं सररुहु संबोहइ पयंगु । तं चेय खुडइ मत्तउ विहंगु सिरिहरहो असुंदरु दुट्ठसंगु । धत्ता-जहिं दीसइ तहिं भल्लउ णयरु णवल्लउ ससिरविअंतविहूसिउ ॥
__उवरिविलंबियतरणिहे सग्गे धरणिहे णावइ पाहुडु पेसिउ ॥१५॥
संवासयदलल मिलंत . णवि सास।।
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जहिं मणहरु सोहइ हट्टमग्गु बहुसंथउ णं जडचट्टवग्गु । जहिं णेहहो भरिउ विहाइ माणु पूरिउ पत्थेण कणेहिं दोणु । कामिणिकमवियलियकुंकुमेण जिल्हसइ जंतु जहिं जणु कमेण । कणिरेणियसुकिंकिणिणीसणेहि गुप्पइ णिवडंतहिं भूसणेहिं । खुप्पइ गयमयहयफेणपंकि तंबोलुग्गालइ जणियसंकि। जहिं राउलु रेहइ रयणजडिउ णं अमरविमाणु णहाउ पडिउ । जहिं धूवधूमकयमणवियार जलहरभंतिएं पञ्चंति मोर । जहिं विजयवडहदुंदुहिसरेहि सुवैइ ण किं पि णारीणरेहिं। णवदिणयरकरतंबिरइ गोसि वित्थिण्णइ जहिं पंगणपएसि । घत्ता- झेंदुउ जयसिरिसारहिं रायकुमारहिं चलचोवाणहिं ताडिउ ।।
जणियजणाणूरायहिं परकइवायहिं णायइ लोउ भमाडिउ ॥१६।।
तहिं सेणिउ णामें अत्थि राउ गारुडगुरु व्व विण्णायणाउ । कज्जेसु दच्छु संजायवेउ
रिउवंसडह णि णं जायवेउ । ५. MBP जलपरिहापायारहिं । १५. १. MBP गयणंयलि । २. M सिरणिहिय । ३. M°रविअंति विहसिउ । १६. १. P पत्थेहिं । २. MBP कणिरणियकिंकिणी । ३. P सुम्मइ ।
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