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विंशतितम पर्व गुरुपुत्रं परिज्ञाय मुक्तः पार्थेन सोऽअसा । हता अन्ये नृपास्तेन हरिणेव मतङ्गजाः ॥१८५ तावच्च रजनी जाता तयोः सैन्यं निवर्तितम् । ईर्ष्यावशेन कुद्धेन कौरवेण गुरुजगे ॥१८५ भो तात ब्रूहि सत्यं त्वं मार्ग न यबदास्यथाः। अहनिष्यत्कथं पार्थो गजवाजिभटोत्तमान्।।
क्रुद्धो द्रोणस्तदावोचन्मत्वा मां ब्रामणं गुरुम् । ,
मुक्तोऽहं तेन युध्यध्वं यूयं क्षत्रियपुङ्गवाः ॥ १८७ भवद्भिस्तु कथं मुक्तः पार्थः संगरसंगतः। न पश्यथ कृतं दोषं स्वयं यूयं दुराग्रहात् ।।१८८ शक्रसूनोर्मया दृष्टं बलं पूर्वमनेकशः। यद्रोचते भवद्भिस्तत्क्रियतामधुना भृशम् ॥१८९ तनिशम्य जगादैवं कौरवेशः क्षमस्व भोः । मम तातापराधं त्वं महांश्च महतां गुरुः ॥१९० त्वया मया प्रहर्तव्या रजन्यां वैरिणां बजाः। कर्णस्याग्रेऽप्ययं मन्त्रः कथितस्तैः समद्धतैः॥ थामिन्यां निर्गतं सैन्यं कौरवाणां कृपातिगम् । तदा कलकलो जज्ञे सुभटाना रणार्थिनाम् ।।
मूञ्छित हुआ। परमार्थसे उसे गुरुपुत्र समझकर पार्थने छोड दिया। जैसे सिंह हाथियोंको मारता है वैसे अर्जुनने दूसरे अनेक राजा युद्धमें मारे। इतनेमें रात्री हो गई और दोनोंके सैन्य युद्धसे अपने स्थानपर लौटकर गये ॥ १७९-१८५॥
[दुर्योधनकी द्रोणाचार्यसे क्षमा याचना इर्ष्याके वश होकर क्रुध्द दुर्योधनने द्रोणाचार्यको कहा, कि “हे तात, आप सत्य कहिए, यदि आप अर्जुनको मार्ग न देते तो वह हाथी, घोडे, उत्तम शूर पुरुषोंको कैसे मार सकता था ? तब द्रोणाचार्य कुपित होकर कहने लगे, कि मुझे ब्राह्मण और गुरु समझकर उसने छोड दिया। तुम लोग श्रेष्ठ क्षत्रिय हो। उसके साथ युद्ध करो। युद्धमें आया हुआ अर्जुन तुमसे कैसा छूट गया? इस प्रश्नका उत्तर दो। तुम लोग दुराग्रहसे अपना किया हुआ दोष नहीं देखते हो। इन्द्रपुत्र अर्जुनका बल मैंने पूर्व भी अनेकबार देखा है इस समय आपको जो रुचे वह कार्य यथेच्छ-प्रचुर कर सकते हो। द्रोणाचार्यका यह भाषण सुनकर दुर्योधन ऐसा बोला कि "हे तात, आप बड़े हैं और महापुरुषोंके गुरु हैं। मेरे अपराधोंकी आप मुझे क्षमा कीजिये ॥ १८६-१९० ॥
_ [रात्रिमें द्रोणादिकोंने पांडवसैन्यपर हमला किया ] द्रोणाचार्यको दुर्योधनने कहा, कि रात्रीमें शत्रुके समूहूपर आप और मैं मिलकर हमला करेंगे-प्रहार करेंगे। कर्णके आगे भी उन उद्धत लोगोंने अपना विचार कहा। कौरवोंका दयारहित सैन्य रात्रीमें निकला, उस समय युद्धाभिलाषी लोगोंके कलकल शब्द होने लगे। जैसे अंधकारमें कौवेके शत्रु अर्थात् उल्लू पक्षी प्रवेश करते हैं, वैसे पांडवोंका सैन्य सुप्त हुआ था ऐसे समय घोडे और हाथियोंसे भयंकर कौरवोंका सैन्य घुसने लगा। तूणीरमेंसे बाहर निकालकर धनुष्योंके ऊपर रखकर छोडे गये बाणोंसे कौरवके पक्षके राजाओंने पाण्डवोंकी सेना छिन्न भिन्न की। पाण्डवोंके पक्षके राजा कौरवोंके आगे क्षणपर्यन्तभी
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