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वे लता, गृह, वापी आदि से महामनोहर जान पड़ते थे एवं १. अशोकवन २. सप्तवर्णवन ३. चम्पकवन एवं ४. आम्रवन -- ये उन चार मनोहर वनों के नाम थे ।। ११६ - ११७ ।। अशोक आदि चारों वनों में से अशोकवन के अन्दर बहुतायत से अशोकवृक्ष थे । सप्तवर्ण वन में सप्तवर्ण जाति के वृक्ष थे | चम्पकवन में चम्पा के वृक्ष एवं आम्रवन में महामनोहर आम्रवृक्ष विद्यमान थे एवं ये समस्त वृक्ष सुवर्णमयी तीन कटनीवाले पीठों (थामरों) से शोभायमान थे ।।११८।। १. माला २. मगर ३. मयूर ४. कमल ५. हंस ६ वीन - गरुड़ ७. सिंह ८. बैल ६. गज एवं १०. चक्र -- इस प्रकार उत्कृष्ट ध्वजायें दश प्रकार की मानी जाती हैं ।। ११६ । । मोहरूपी मल्ल के जीतने से उन्नत पालि ध्वजायें (प्रधान ल्लि बजायें) एक-एक दिशा में एकसौ आठ करके थीं तथा सामान्य रूप एक-एक दिशा में समस्त ध्वजायें प्रत्येक एक ल्लि
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हजार अस्सी थीं तथा सब मिलकर चार हजार तीनसौ बीस (४३२० ) थीं ।। १२० - १२१।।
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चारों वनों के भीतर जाकर पुनः एक दूसरा प्राकार था, जो कि पहिले प्राकार के समान ही चार सदर दरवाजों युक्त था । जिस प्रकार पहिले प्राकार में तोरण आदि की विभूति बतलाई गई है, उसी प्रकार की विभूति से युक्त था, चाँदी के वर्ण का एवं विशाल था। इस प्राकार के भी दोनों पसवाड़ों में पहिले प्राकार के पसवाड़ों के समान दो नाट्यशालायें थीं तथा धूप से जायमान धूँवा से समस्त दिशाओं को व्याप्त करनेवाले धूपघुड़े विद्यमान थे । धूप घड़ों के आगे दूसरी वीथी में कल्पवृक्षों का एक विशाल वन था, जो कि रत्नों की फैली हुई उग्र प्रभा से सम अन्धकार का नाश करनेवाला था ।।१२२ - १२४ ।। कल्पवृक्षों के उस वन के अन्दर अशोक आदि चार चैत्यवृक्ष थे, जो कि अपनी महामनोहर कान्ति से अत्यन्त दैदीप्यमान थे । उनके नीचे के भाग में श्रीजिनेन्द्र भगवान की प्रतिमायें थीं तथा वे वृक्षमय सिंहासन तथा छत्रों से युक्त होने के कारण अत्यन्त शोभायमान थे ।। १२५ ।। उन अशोक आदि वृक्षों से परिपूर्ण वनों के पर्यन्त भाग में एक वनवेदी थी, जो कि कलश, झाड़ी आदि मांगलिक द्रव्यों से परिपूर्ण परमोत्तम चार सदर दरवाजों से शोभायमान थी । । १२६ । । उससे आगे की भूमि में नाना प्रकार के रत्नयमी चबूतरों के धारक स्तम्भों के अग्रभाग में नाना प्रकार की ध्वजायें फहरा रहीं थीं, जो कि अत्यन्त शुभ थीं तथा बहुत ऊँची-ऊँची थीं, जिनसे कि वह भूमि अत्यन्त शोभायमान जान पड़ती थी । । १२७ । । समोवशरण के अन्दर रहनेवाले प्राकार, चैत्यवृक्ष, ध्वजायें, वन-वेदियाँ स्तूप, तोरणों से अलंकृत स्तम्भ तथा मानस्तम्भ -- इस सबकी ऊँचाई तीर्थंकरों
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