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कण्ठ (स्वर) अत्यन्त मनोहर था; इसलिए उसका उच्चारण बहुत ही कर्णप्रिय एवं मनोहर था । उसका महामनोहर मुख तेजोमयी लावण्य से दैदीप्यमान था एवं कान्ति के कपोलों से भूषित था ।।८।। उसके नेत्ररूपी कमल महा स्रोत-मनोहर थे, ऊँची नासिका थी, सुन्दर भृकुटियाँ थीं, उसके दोनों कान आभूषणों से जाज्वल्यमान थे, भौरों के समान काले केश थे एवं सुन्दर ललाट से वह शोभायमान थी।।१६।। वह महारानी प्रजावती महा-मनोहर वस्त्रों की पोशाक पहिनती थी। माला आदि का मण्डन करती थी, समस्त दिव्य गुणों से परिपूर्ण थी; अतएव महारूपवती एवं समस्त लोक में वन्दनीय थी ।।१७।। अनेक प्रकार की कलाएँ, विज्ञान, ज्ञान एवं सौभाग्य से वह शोभायमान थी। भगवान श्री जिनेन्द्र के गुणों में वह अत्यन्त भक्ति करती थी, सदाचार का आचरण करती थी, अत्यन्त विनय करनेवाली एवं महासती थी। पुण्य के उदय से उसे भाँति-भाँति के दिव्य भोग एवं उपभोग आदि प्राप्त थे; इसलिए उसके समस्त मनोरथों की सिद्धि हो जाती थी। वह महारानी प्रजावती समस्त पवित्र कार्यों को करनेवाली थी, हर एक बात में अत्यन्त चतुर थी एवं व्रत-शील आदि का सम्यक् प्रकार पालन करनेवाली थी ।।८८-८६। जिस प्रकार सरस्वती देवी का सब लोग आदर-सत्कार करते हैं एवं उसे मानते हैं, ठीक उसी प्रकार महारानी प्रजावती को भी सब लोग बड़े आदर की दृष्टि से देखते थे । वह रूप, लावण्य, सौभाग्य एवं सुखरूपी समुद्र के पार को प्राप्त थी अर्थात् परम रूपवती थी, परम लावण्यवती थी एवं परम सुख को भोगनेवाली थी ।।६०।। इस प्रकार उत्तमोत्तम गुणों की स्थान उस महारानी प्रजावती के साथ वह राजा कुम्भ तृप्ति के देनेवाले एवं निज पुण्य से अर्जित नाना प्रकार के भोगों को यथाकाल बड़े स्नेह के साथ निरन्तर भोगने लगा ।।६।।
राजा वैश्रवण का जीव अपराजित विमान में जाकर अहमिन्द्र हुआ था, जब उसकी आयु की समाप्ति में केवल छ:मास का समय शेष रह गया--उस के उपरान्त वह श्री मल्लिनाथ तीर्थंकर होनेवाला था। तीर्थंकर भगवान के जन्म से पन्द्रह मास पहिले उनकी जन्म-भूमि में कुबेर द्वारा रत्नों की वर्षा होने लगती है । यह नियम है; इसलिए इन्द्र ने मिथिलापुरी जाने के लिए कुबेर को आज्ञा दी एवं इन्द्र की आज्ञानुसार वह शीघ्र ही मिथिलापुरी आकर उपस्थित हो गया ।।६२।। मिथिलापुरी में आकर उसने हस्ती के सूंड़ की आकार में पुष्प एवं जलकणों से व्याप्त अनेक प्रकार
य रत्नों की मोटी-मोटी धारायें बरसानी प्रारम्भ कर दी, जिनमें बरसनेवाली मणियों की प्रभा से समस्त
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