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________________ ४६६ ] मेरु मंदर पुराण लूळि यूळिवानोर वंदिरं वनं । ताळु मदन पेट्रिय साट् वाम् । १२५२। अर्थ - जम्बूद्वीप आदि सात द्वीपों को सातों समुद्र घेरे हुए हैं । श्राठवां नंदीश्वर द्वीप है । यह नंदीश्वर द्वीप अनादि निधन है, और वहां के रहने वाले बावन अकृत्रिम चैत्यालयों को पूजा चतुरिंगकाय देव आकर करते हैं । अब आगे चलकर मैं प्रकृत्रिम चैत्यालयों का विवेचन करूंगा ।। १२५२ ।। अरवत्तु मूंड्र नोडाय नूट्रिना । लेरिप पट्टिरुंदन कोडियोचनं ॥ शेरि वुटु विलक्क में बत्तु नान्गोडु । मरुव तीवत्तु ळगल मागमे ।।१२५३ ।। अर्थ - नंदीश्वर द्वीप का एक सौ तिरेसठ करोड, चौरासी लाख योजन का व्यास है ।।१२५३ ।। Jain Education International निलंगळ पोन् मणिगळा निरेंद्बुदिरुंदन | विलंगलुं कयंगळं वीतरागरं ॥ पुलंगळाळ, वेल्वन भोगभूमि यो । डिलंगु वानवरिंड तन्नै येरुमे ॥। १२५४।। अर्थ - उस नंदीश्वर द्वीप की भूमि स्वर्ण और रत्नों से परिपूर्ण है। वहां के पर्वत और सरोवर जिस प्रकार वीतराग भगवान निर्दोष हैं उसी प्रकार वे भी निर्दोष दीखते हैं । नंदीश्वर द्वीप का सभा मंडप देवों को हास्य के समान दीखता है ॥। १२५४।। कन्नैयुं मनत्तैयुं कवरं वु कोळ्वन् । वन मेगले ईनार वडिवु पोलवं ॥ विनवर, किरं वरं विडाद वेट् कय । वेनिला विडंगळा लियांड्रिरुंददे ।। १२५५ ॥ अर्थ - इस जम्बूद्वीप को देखने वाले मनुष्यों का हृदय तथा मेत्र आकर्षित होते हैं । जिस प्रकार एक सुन्दर स्त्री जो अनेक प्रकार के शृंगारों से युक्त हो, उसके देखने से चित्त आकर्षित हो जाता है, उसी प्रकार यह द्वीप देवों के हृदयों को आकर्षण करता है ।। १२४.५ ॥ O इलदै वल्लि कन्मरिण पालियंड्र तन् । शलदि शूळ, पोयदु तरणी मुंड्र डे ॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002717
Book TitleMeru Mandar Purana
Original Sutra AuthorVamanacharya
AuthorDeshbhushan Aacharya
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1992
Total Pages568
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size1 MB
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