SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 510
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ -~-~~-~~------- ------- -- - -- --- -- - ----- -- ----------------------- -- मेरु मंदर पुराण [ ४५३ मुकुट, हस्तककरण, मेखला (करधनी) अनेक प्रकार के राज्य चिन्ह रत्नों के ग्राभरण, वस्त्र, शस्त्र आदि निकाल कर अपने हाथों से दूर फेंकने लगे ।।१२०२।। कुरु नेरि पइडल कुंजि येजोला । नेरिभये परनेरि निनप्प नीकुमेन् ।। ररिवन तडि मुदलंबदं सोला। नेरिमै यो नीकिनार नोंडि तोळिनार ॥१२०३॥ अर्थ-तदनन्तर उन दोनों राजकुमारों ने पूर्वाभिमुख पर्यङ्कासन से बैठ कर ॐ नमः सिद्ध भ्यः इस प्रकार तीन बार बोलकर पंचपरमेष्ठी का स्मरण करते हुए विधिपूर्वक पंचमुष्ठि केश लुंचन किया ।।१२०३।। मर्पु यत्तार् मयिर् वांगि निबर् । कर्पग भिल मलर कळंड दुत्तनर ॥ मट वानवरंन मथिर मालयार । सुट्रिवान कालिडं तोळ दिट्टार्गळे ॥१२०४।। अर्थ-तत्पश्चात् दोनों कुमारों ने भगवान की साक्षी पूर्वक दीक्षा विधिपूर्वक ग्रहण की। दीक्षा लेने के बाद उन कुमारों के लुंचन किये हुए सिर ऐसे दिखने लगे जैसे कल्प वृक्ष की लता पतझड होने से स्पष्ट दिखाई देती है। इसी प्रकार सिरमुंडन के साथ दस प्रकार का मुंडन भी कर लिया। दस प्रकार के मुंडन निम्न प्रकार हैं । __ मन मुंडन, इन्द्रिय मुंडन, चार कषाय मुंडन, वचन मुंडन, तन मुंडन, हस्त मुंडन, पाद मुंडन । तदनन्तर केश खंचन किए हुए बालों को देवों ने भक्ति से उठाकर समुद्र में क्षेपण कर दिए ।।१२०४।। शीलमुं वदंगळं शेरिद वेल्लइन् । मालयुं शांदमु मेंदि वानवर ॥ कोलमा दवर गुरणं पुगळं विरैजिना। रेलवन पिरिये ळडेंद वेबवे ॥१२०५॥ अर्थ-उन दोनों मुनिराज की शीलाचार सहित महावत को धारण करते समय देवों ने पुष्पवृष्टि करते हुए प्रष्ट द्रव्य से पूजा की। दीक्षा लेने के कुछ समय पश्चात उन दोनों मुनिराजों को सप्तऋद्धियां प्राप्त हो गई ॥१२०५।। पोदि या रंदुमा मरंदुभावव । नीदि नारसुवै बलिकन् मूडिन् । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002717
Book TitleMeru Mandar Purana
Original Sutra AuthorVamanacharya
AuthorDeshbhushan Aacharya
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1992
Total Pages568
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy