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॥ नवम अधिकार ॥
* बलदेव का स्वर्ग जाना . मंदिरि मन्नन् म्मिन् मारुमारागि कोळ्मै ।। विदिय यदु शेल्लु येल्ल ये मुडिय चंद्रार् ।। वंदवर तम्मिर कूडु मळवि निन्न ट्रिळय नाय ।
मेंदन तागु मुद्र माट्रिनो युरक्क लुट्रेन ॥६॥ अर्थ-सत्यघोष मंत्री व राजा सिंहसेन इन दोनों में बैर होने के कारण तथा मंत्री का दुर्गुणी होने के कारण मंत्री का जीव सातवें नरक में गया और सिंहसेन राजा सद्गुणीहोने के कारण सर्वार्थसिद्धि में गया। इस प्रकार उन शुभाशुभ गुणों के अनुसार उनको गति का भी बंध होता है। प्रत्येक जीव अपने परिणामों के अनुसार शुभ अशुभ गति को प्राप्त होता है । पुनः मंत्री व राजा का जीव मध्य लोक में आकर जन्म लेगा और उनकी पटरानी रामदत्ता देवी तथा सिंहसेन राजा का छोटा राजकुमार और वह रामवत्ता पटरानी इन दोनों की कथा प्रामे कहूँमा । ऐसा प्रादित्य देव ने घरसेंद्र से कहा ।।६६१॥
पोवोडु तोळर्गळ, शैट्रि पोरिवंडुम नैमिरं पाड । तादोडु मदुकळ् वीयुं धातकी युय दीप ॥ मोदिय पुगंग नानूलयिर मुळ्ळ गंड ।
वैविगे इरंडि चक्क वाळतिन् विळंगु निरे ।।८६२॥ अर्थ-भरत क्षेत्र में धातकी खंड नाम का द्वीप है । उस द्वीप का चार लाख योजन विस्तार है । उसके चारों ओर घेरा हुमा लवण समुद्र है। उसके बाद चारों तरफ कालोदषि समुद्र है । इन दोनों समुद्रों से घिरा हुमा वज्रवेदी के समान और चऋवाल गिरि के समान वृत्ताकार रूप से वह द्वीप प्रकाशमान है ॥१२॥
मंदर मिरंडु यांड कुलमले पनिरंडि । नंदरत्तार नाले कामव मगत्तु कोळ्वान् ।। . मंवर मवर्कु मेलवार् शोदुवै वडकरै कट् । .
कंदिल यन्न नाडु कायर तगय बुंडे ॥६॥ अर्थ-ग्रंथकार ने इस घातकी खंड द्वीप का वर्णन किया है। इस द्वीप में गंगा सिंधु सीता सीतोदा मादि मादि मठाईस नदियां हैं। वहां बहने वाली सीतोदा नाम की नदी के - किनारे पर गंषिला नाम की एक नगरी है ।।१३॥
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