________________
मेर मंदर पुराण
एंदिनोडिरंडर दीप माळिमून् ।
डिदिय नांगु मडिरंडि नेल्लये ॥७९॥ अर्थ-एकेन्द्रिय जीव ३४३ धनराजू प्रमाण लोक में भरे हुये हैं। पंचेन्द्रिय जीवों से त्रस नाडी भरी है । प्राधा स्वयंभूरमणद्वीप, अढ़ाई द्वीप, महालवणोदधि, कालोदधि और स्वयंभूरमण समुद्र ऐसे तीनों समुद्रों में दो इन्द्रिय आदि जीव जन्म लेते हैं।
भावार्थ-एकेन्द्रिय जीव से पंचेन्द्रिय जीव तक ३४३ धन राजू प्रमाण लोक में भरे हवे हैं । पंचेन्द्रिय जीव सनाडी में भरे हैं । आधा स्वयम्भूरमण द्वीप,पढाई द्वीप,लवण समुद्र कालोदधि समुद्र, स्वयम्भूरमण समुद्र इन तीनों समुद्रों में एकेन्द्रिय, दो इन्द्रिय, तीन इन्द्रिय, चौइन्द्रिय तथा पंचेन्द्रिय जीव उत्पन्न होते हैं ।।७६॥
इरंडर तीबिनुन मरिणव नान ककंड । तिरंड नू टिळुवरत्तना ट्रिरुवरत्तना ॥ मुरंकड कुलगळोर् मूडि ट्रोंडिनार् ।
ट्रिरंड तीविन येडा सिद्धि यदुमे ।।८०॥ अर्थ-ढाई द्वीप के जम्बू द्वीप, धातकीखण्डद्वीप, पुष्कराद्ध द्वीप में मनुष्य उत्पन्न होते हैं और उसमें भिन्न २ एक सौ सत्तर आर्यखण्डों में श्री जैन धर्म को प्राप्त करने वाले जीव उत्पन्न होते हैं । ये जीव पाप को नाश करने वाले ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य इन तीन वर्णो में तथा उत्तम कुल में जन्म लेकर अनादि काल से आत्मा के साथ लगे हुये शत्रुनों को जीतकर मोक्षपद प्राप्त कर लेते हैं ।
भावार्थ - जम्बू, धातकी, पुष्करार्द्ध ऐसे ढाई द्वीप के मनुष्य और उसके अन्तर्गत रहने वाले १७० आर्य खण्डों में श्री जैन धर्म को प्राप्त करने वाले जीव उत्पन्न होते हैं । वे जीव पाप को नाश करने के निमित्त ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य इन तीनों वर्गों में जन्म लेकर मन.दि काल से सम्बद्ध कर्म शत्रुओं को नाश करके दुर्द्धर तपश्चरण करके मुनिदीक्षा धारण कर मोक्ष को चले जाते हैं ।।८।।
कुडंगइल विळक्केन कोंडकोंडदन् । नुडंपिन दळव मामुलगमेंगु मा । मोडुगुळि पुरै तरंगि लै योंगिय ।
विडंकोलिर् पिळत्तलु मिडमूर्तियाल ॥१॥ । अर्थ-जीव प्रमूर्तिक स्वभाव वाले हैं। जिस प्रकार एक दीपक को दोनों हाथों की अंजली में रखकर यदि बंद किया जावे तो वह प्रकाश मंद २ प्रतीत होता है उसी प्रकार प्रनादि काल से रहने वाले शरीर में मात्मा शरीर रूपी मावरण को प्राप्त हुमा है । नामकर्म द्वारा जितना शरीर का परिमाण होता है उतना ही प्रात्मा छोटे-बड़े शरीर
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org