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व्याख्या
प्रतिरूपक व्यवहार : ___वस्तुओं में नेल-सभेल करना- मिलावट करना, प्रकिरूपक व्यवहार हैं, इसको तत्प्रतिरूपक व्यवहार भी कहते हैं.। अच्छी वस्तु में बुरी वस्तु मिला देना, अच्छी दिखा कर बुरी देना, यह सब तत्प्रतिरूपक व्यवहार है।
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चतुर्थ ब्रह्मचर्य-अणुव्रत मूल :
चउत्थं अणुव्वयं थूलाओ मेहुणाओ बेरमणं ।
सदार, संतोसिए अवसेस-मेहुण-विह्नि-पच्चक्खाणं । जावज्जीवाए दिव् दुविहं तिविहेणं, न करेमि, न कारवमि, मणसा,वयसा कायसा। माणस्सं तिरिक्ख-जोणियं, एगविहं एगविहेणं, न करेमि, कायसा । एयस्स चउत्थस्स थूलग-मेहुण-वेरमणस्स, समणोवासएणं पंच अइयारा जाणियव्या, न समायरियब्वा । तंजहा-इत्तरिय-परिग्गहियागमणे. रिग्गहिया-गमणे, अणंग-क्रीड़ा पर-विवाहकरणे, काम-भोग-तिव्वाभिलासे :
१ श्राविका 'सभत्तार-संतोसिए' पढ़े।
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