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प्रतिक्रमण जं दुक्कडं ति मिच्छा,
तं भुज्जो कारणं अपूरेतो। तिबिहेणं पडिक्कतो;
__ तस्स खलु दुक्कडं मिच्छा ।। जो साधक त्रिविध योग से प्रतिक्रमण करता है, जिस पाप के लिए मिच्छा मि दुक्कडं दे देता है, फिर भविष्य में उस पाप को नहीं करता है-वस्तुतः उसीका दुष्कृत मिथ्या अर्थात् निष्फल होता है।
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