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व्रत के दूषण व्रत के चार दूषण होते हैं-अतिक्रम, व्यतिक्रम, अतिचार और अनाचार।
किसी भी स्वीकृत व्रत तोड़ने का संकल्प करना, अतिक्रम है। तोड़ने के साधन जुटाना, तैयार करना, ब्यतिक्रम है। व्रत को एक देश से, एक अंश से खण्डित करना, अतिचार है। व्रत को सर्वदेश से, पूर्णरूप से भंग करना, अनाचार है।
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