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सामायिक सूत्र
साधना का मूल सम्यक्त्व है । इसके बिना किसी भी प्रकार की साधना सच्ची नहीं हो सकती । अतः सामायिक की साधना से पूर्व सम्यक्त्व की शुद्धि आवश्यक है ।
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मूल :
गुरु-गुण- स्मरण - सूत्र
पंचिदिय-संवरणो.
तह नवविह बंभचेर गुत्ति-धरो चउविह कसाय मुक्को,
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इअ अट्ठारस गुणेहिं संजुत्तो ॥ पंच- महव्वय-जुत्तो,
पंच- विहायार - पालण - समत्थो ।
पंच-समिओ-तिगुत्तो,
छत्तीस गुणो गुरु मम ।।
अर्थ : पाँच इन्द्रियों के विषय को रोकने वाले,
तथा ब्रह्मचर्य की नौ गुप्तियों को धारण करने वाले,
चार प्रकार के कषायों से मुक्त,
उक्त अठारह गुणों से संयुक्त,
पांच महाव्रतों से युक्त,
पाँच प्रकार का आचार पालने में समर्थ, पाँच समिति और तीन गुप्ति वाले, इस प्रकार छत्तीस गुणों बाले मेरे गुरु हैं ।
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