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भटटारक श्री ज्ञानभूषण मूलसंघ, सरस्वतीगच्छ और बलात्कारगण के आचार्य थे। उनकी गुरुपरम्परा का प्रारंभ भ. पद्मनन्दि से होता है । पद्मनन्दि से पहले की परंपरा का अभी तक ठीक-ठीक पता नहीं लगा है। १. पद्मनन्दि २. सकलकीर्ति ३. भुवनकीर्ति और ४. ज्ञान भूषण । यह ज्ञानभूषण की गुरुपरंपरा का क्रम है। ज्ञानभूषण के बाद ५. विजयकीर्ति और फिर उनके शिष्य ६. शुभचन्द्र हुए हैं और इस तरह शुभचन्द्र ज्ञानभूषण के प्रशिष्य हैं।
समय प्रशस्तियों का अवलोकन करने से इनका समय विक्रम संवत् १५३४-३५ और १५३६ ज्ञात होता है ।
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