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में ऊपर कहे पचपन आस्रवों में से पाँच मिथ्यात्व, औदारिकमिश्र, अनन्तानुबंधी चतुष्क से रहित पैतालीस आस्रव होते हैं।
• संदृष्टि नं. 49 शुक्ललेश्या आस्रव 57
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शुक्ललेश्या में 57 आस्रव होते हैं जो इस प्रकार हैं 5 मिथ्यात्व, अविरति, योग 15 ( मनोयोग 4, वचनयोग 4, काययोग 7 ), कषाय 16, नोकषाय 9 । गुणस्थान मिथ्यात्व आदि तेरह होते हैं ।
गुणस्थान आस्रव व्युच्छित्ति
1. मिथ्यात्व 5 [5] मिथ्यात्व ]
2. सासादन 4 [गुणस्थानवत्]
3. मिश्र
4. अकिस्त
[कापोतश्याक्त्]
5. देशविस्त
15 [गुणस्थानवत्
6. प्रमत्त संयम 2 [ गुणस्थानवत्
7. अप्रमत्त
संयम
8. अपूर्व
करण
9. अनिवृत्ति
करण भाग 1
0
0
6] [ गुणस्थानक्त्]
1 [गुणस्थानवत्
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9. भाग2
1 [गुणस्थान
9. भाग3 1 [गुणस्थानवत्]
आस्रव
54 [गुणस्थानवत् 55 - औदारिकमिश्रकाययोग]
49 [गुणस्थानवत् 50 - औदारिकमिश्रकाययोग]
43 [गुणस्थानवत्]
46 [गुणस्थानवत्
37 [गुणस्थानवत्]
24 [गुणस्थानवत्]
22 [गुणस्थानवत्]
22 [गुणस्थानवत्]
16 [गुणस्थानवत्]
15 [गुणस्थानवत्]
14 [गुणस्थानवत्
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आस्रव अभाव
3 [ गुणस्थान
2 + औदारिकमिश्र काययोग ]
8 [ गुणस्थानवत्
7 + औदारिकमिश्र काययोग ]
14 [गुणस्थानवत्]
11 [गुणस्थानवत्]
20 [गुणस्थानवत्]
33 [ गुणस्थानवत्]
35 [गुणस्थानक्त्
35 [गुणस्थानवत्]
41 [गुणस्थानवत्
42 [गुणस्थानवत्]
43 [गुणस्थानवत्
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