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आस्रव अभाव
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44 [गुणस्थानक्त
गुणस्थान | आस्रव व्युच्छित्ति
आस्रव 9. भाग4 | 1[गुणस्थानक्त] | 13[गुणस्थानवत् 9. भाग
| 1[गुणस्थानवता । 12 [गुणस्थान 9. भाग 1[गुणस्थानक्त 11 [गुणस्थानक्त] | 10.सूक्ष्य | 1[गुणस्थानक्त] 10 [गुणस्थानक्त सम्पराय
45 [गुणस्थानवत
46 [गुणस्थानवत्]
47 [गुणस्थानवत्]
11.उपशंत
[गुणस्थानक्त
48 [गुणस्थानव
12.क्षीणमोह | 4[गुणस्थानवत]
[गुणस्थानक्त
48 [गुणस्थानक्त]
13.सयोग केवली
| 7 [गुणस्थानक्त
7गुणस्थानक्त
50 [गुणस्थानक्त
•संदृष्टि नं. 50
भव्य आस्रव 57 भव्य के 57 आस्रव होते हैं जो इस प्रकार हैं - 5 मिथ्यात्व, 12 अविरति, 15 योग, कषाय 25 (कषाय 16, नोकषाय 9)। गुणस्थान मिथ्यात्व आदि चौदह होते हैं। इसकी संदृष्टि गुणस्थान के समान जानना चाहिये। (देखें संदृष्टि नं. 1) गुणस्थान
आस्रव व्युच्छित्ति | आस्रव 1.मिथ्यात्व
5
55 2 सासादन
4 3.मिश्र 4.अविस्त
7
46 5.देशविस्त
15 6.प्रात्तविस्त
आस्रव अभाव
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