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•संदृष्टि नं. 18 पृथ्वीकाय, जलकाय एवं वनस्पतिकाय 38 पृथ्वीकाय, जलकाय एवं वनस्पतिकाय में 38 आम्रव होते हैं जो इस प्रकार हैं - 5 मिथ्यात्व, 7 अविरति (षट्काय एवं स्पर्शन इन्द्रिय), योग 3 (औदारिक,
औदारिकमिश्र और कार्माणकाययोग), कषाय 23 (कषाय 16, नोकषाय 7 - हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा, नपुंसकवेद) । गुणस्थान मिथ्यात्व आदि दो होते हैं। गुणस्थान आस्रव व्युच्छित्ति
आस्रव अभाव 1.मिथ्यात्व | 6[5 मिथ्यात्व, 38 [5 मिथ्यात्व, 7 अविरति
औदारिकमिश्र (षट्झाय एवंस्पर्शन इन्द्रिय), काययोग] योग 3 (औदारिक, औदारिकमिश्र
और कार्मण काययोग), कषाय 23 (कषाय 16, नोकषाय 7 - हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा, नपुंसक्वेद)] 32 [उपर्युक्त38-6
6[5 मिथ्यात्व, 4कपाय (5 मिथ्यात्व, औदास्किमिश्र)] | औदारिकमिश्र
आम्रव
2.सासादन
•संदृष्टि नं. 19
अग्निकाय एवं वायुकाय 38 अग्निकाय एवं वायुकाय में 38 आम्रव होते हैं जो इस प्रकार हैं - 5 मिथ्यात्व, 7 अविरति (षट्काय एवं स्पर्शन इन्द्रिय), योग 3 (औदारिक, औदारिक मिश्र
और कार्मणकाययोग), कषाय 23 (कषाय 16, नोकषाय 7 - हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा, नपुंसकवेद) गुणस्थान मात्र एक मिथ्यात्व ही होता
आस्रव
आस्रव अभाव
गुणस्थान आस्रव व्युच्छित्ति 1.मिथ्यात्व | 7 [5 मिथ्यात्व,
औदारिकमिश्र, कार्मणकाययोग]
[उपयुक्त
[40]
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