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अर्थ त्रसों और पंचेन्द्रिय जीवों में सभी आम्रव (प्रत्यय) गुणस्थानवत् जानना चाहिए। पृथ्वी आदि पंच स्थावरों में एकेन्द्रिय जीवों में कथित अड़तीस आस्रव जानना चाहिए ।
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• संदृष्टि नं. 17 पंचेन्द्रिय आस्रव 57
पंचेन्द्रिय के 57 आम्रव होते हैं जो इस प्रकार हैं - 5 मिथ्यात्व, 12 अविरति, 15 योग, कषाय 25 ( कषाय 16, नोकषाय 9 ) । गुणस्थान मिथ्यात्व आदि चौदह होते हैं । इसकी संदृष्टि गुणस्थान के समान जानना चाहिये। (देखें संदृष्टि नं. 1 )
गुणस्थान 1. मिथ्यात्व
12. सासादन
3. मिश्र
4. अविरत
15. देशविरत
6. प्रमत्तविरत
7. अप्रमत्तविरत
8. अपूर्वकरण
9. अनिवृत्तिकरण भाग 1
भाग 2
भाग 3
भाग 4
भाग 5
भाग 6
10. सूक्ष्यसाम्परायसंयत
11. उपशांतमोह
12. क्षीणमोह
13. सयोगकेवली
14. अयोगकेवली
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आस्रव व्युच्छि
5
4
0
7
15
2
0
6
1
1
1
1
1
1
1
0
4
7
0
आसव
55
50
43
46
37
24
22
22
16
15
14
13
12
11
10
9
9
7
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आस्रव अभाव
2
7
14
11
20
33
35
35
41
42
43
44
45
46
47
48
48
ཐ|8
50
57
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