________________
•संदृष्टि नं. 20
त्रसकाय आस्रव 57 त्रसकाय के 57 आस्रव होते हैं जो इस प्रकार हैं - 5 मिथ्यात्व, 12 अविरति, 15 योग, कषाय 25 (कषाय 16, नोकषाय 9)। गुणस्थान प्रथम से लेकर चौदह होते हैं। इसकी संदृष्टि गुणस्थान के समान जानना चाहिये। (देखें संदृष्टि नं. 1)
गुणस्थान
आस्रव व्युच्छित्ति
आसव
आस्रव अभाव
-
1. मिथ्यात्व
55
2
2. सासादन
43
3. मिश्र 4. अविरत 5. देशविरत
46
37
२०
24
33
22
35
6. प्रमत्तविरत 17. अप्रमत्तविरत 8. अपूर्वकरण 9.अनिवृत्तिकरण भाग 1
22
35
16
भाग 2
15
भाग 3
43
-
भाग4
13
44
भाग 5
12
45
भाग 6
46
10
47
o
48
+
10. सूक्ष्यसाम्परायसंयत 11. उपशांतमोह 12. क्षीणमोह 13. सयोगकेवली 14. अयोगकेवली
48
50
57
[41]
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org