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है सद्भूत, असद्भूत और उपचरित । पश्चात् सद्भूत के दो-भेद, असद्भूत के तीन, और उपचरित के भी तीन भेद जानना चाहिए। इस प्रकार उपनयों के समुदित 8 प्रभेद जानना चाहिए। जिनका विवेचन आगे किया जायेगा।
नयउपनयों के विषयभूत अर्थ दव्वत्थिए य दव्वं पज्जायं पज्जयत्थिए विसयं । सब्भूयासब्भूए उवयरिए च दुणवतियत्था ।।16।।
द्रव्यार्थिकेच द्रव्यं पर्यायः पर्यायार्थिक विषयः।
सद्भूतासद्भूते उपचरितेच द्विनवत्रिकार्थाः ।।16।।
अर्थ - द्रव्यार्थिक नयों का विषय द्रव्य है और पर्यायार्थिक नयों का विषय पर्याय है । सद्भूत व्यवहारनय के अर्थ दो हैं, असद्भूत व्यवहार नय के अर्थ नौ है और उपचरितनय के अर्थ तीन हैं।
विशेषार्थ - कौन - नय किस द्रव्य को विषय करता है अथवा कितने प्रकार के अर्थो को ग्रहण करता है इसका स्पष्टीकरण इस प्रकार किया गया कि द्रव्यार्थिक नय मात्र द्रव्य को विषय बनाता है। पर्यायार्थिक नय पर्याय को विषय बनाता है। सद्भूत व्यवहार नय दो प्रकार के अर्थो को विषय बनाता है । असद्भूत व्यवहार नय नव प्रकार के अर्थो को विषय बनाता है और उपचरित नय के तीन प्रकार के अर्थों को विषय करता है - अर्थात् सद्भूत व्यवहार नय के दो भेद है शुद्ध सद्भूत तथा अशुद्ध सद्भूत । असद्भूत व्यवहार नय नौ प्रकार का है - विजातीय द्रव्य में विजातीय द्रव्य का आरोपण करनेवाला असद्भूत व्यवहार नय, विजातीय गुण में विजातीय गुण का आरोपण करनेवाला असद्भूत व्यवहार नय, स्वजातीय पर्याय में
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