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________________ समुच्चयबोधक अव्यय दो या अधिक शब्दों या वाक्यों को जोड़ने वाले अव्यय समुच्चयबोधक अव्यय कहे जाते हैं। कुछ निम्नलिखत हैं य, वा, किन्तु, जइ, तहवि, तेण, जेण, तेणेव, जेणेव किं, किण्णा, जाव, ताव, आम/आमं आदि। वाक्य-प्रयोग १. रामो हरी य चिट्ठन्ति। - राम और हरि बैठते हैं। २. राया मंती वा वियारइ। = राजा अथवा मंत्री विचार करते हैं। ३. मइ सो कोक्किओ, किन्तु सो ण - मेरे द्वारा वह बुलाया गया, लेकिन आगओ। वह नहीं आया। ४. जइ तुम कहसि ता अहं गामं यदि तुम कहते हो, तो मैं गाँव गच्छिहिमि। जाऊँगा। ५. जाव तुमं पढिहिसि ताव अहं तुमं = जब तक तुम पढ़ोगे तब तक मैं पालिहिमि। तुमको पालूँगा। ६. तेण लवियं - आमं/आम इमो = उसके द्वारा कहा गया -- हाँ, यह गाड़ी सगडतित्तिरो विक्कायइ। में रखा हुआ तीतर बेचा जायेगा। ७. तेहि इमो पुच्छिओ - किं लब्भइ। = उनके द्वारा यह पूछा गया - क्या प्राप्त किया जाता है? ८. तुमए गंथा किण्णा लद्धा। तुम्हारे द्वारा ग्रंथ कैसे प्राप्त किये गये। ९. जेण अत्थ भमररुअं सुणिज्जइ तेण = चूँकि यहाँ भवरों की आवाज सुनी अत्थ कमलवनं जाणिज्जइ । जाती है, इसलिए कमलवन जाना जाता है। १०. जइ काओ पंकयवणम्मि वसइ = यदि कौआ कमल-समूह में रहता है, तहवि काओ काओ च्चिय वराओ। फिर भी बेचारा कौआ कौआ ही (है)। ११. अम्हाणं सासू विउसी अस्थि, - हमारी सासू विदूषी है, इसलिए वह तेण सा भोयणे तेलं देइ, न घयं। । भोजन में तेल देती है, घी नहीं। १२. तुमं घरं आगच्छहि, जेण माया = तुम घर आ जाओ, जिससे माता उल्लसउ। प्रसन्न हो। (80) प्राकृतव्याकरण: सन्धि-समास-कारक-तद्धित-स्त्रीप्रत्यय-अव्यय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002701
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2005
Total Pages96
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size3 MB
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