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पुर + इल्ल
हेट्ठ
+ इल्ल
उवरि + इल्ल
(ख) अप्प + उल्ल
तरु + उल्ल
नयर + उल्ल
(54)
है ।
(क) सोहा + इल्ल
=
(ख) वियार + उल्ल
=
छाया > छाआ + इल्ल
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5.1 'इल्ल' और 'उल्ल' प्रत्यय ('वाला' अर्थ में ) : (हेम - 2 / 159 )
'वाला' अर्थ बतलाने के लिए 'इल्ल' और 'उल्ल' का प्रयोग भी किया जाता
=
सोहिल्ल (वि.) ( शोभा युक्त)
छाइल्ल (वि.) ( छाया युक्त)
वियारुल्ल (वि.) (विचार वाला / विचारवान )
दप्प + उल्ल
दप्पुल्ल (वि.) (दर्प वाला / दर्पवान)
5.2 'इल्ल' और 'उल्ल' प्रत्यय ( स्वार्थिक रूप में ) : (हेम 2/164)
इल्ल और उल्ल का स्वार्थिक प्रत्यय के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।
(क) पल्लव + इल्ल
पुर + इल्ल
=
पुरिल्ल (वि.) पुरिल्लो (पु.) पुरिल्लं (नपु.) पुरिल्ली (स्त्री.) ( नगर में विद्यमान )
=
ल्ल (वि.) हेल्लो (पु.) हेट्ठिल्लं (पु.) हेट्ठिल्ली (स्त्री.) (नीचे विद्यमान )
=
उवरिल्ल (वि.) उवरिल्लो (पु.) उवरिल्लं (नपु.) उवरिल्ली (स्त्री.) (ऊपर विद्यमान )
अप्पुल्ल (वि.) अप्पुल्लो (पु.) अप्पुल्लं (नपु.) अप्पुल्ली (स्त्री.) (आत्मा में विद्यमान )
तरुल्ल (वि.) तरुल्लो (पु.) तरुल्लं (नपु.) तरुल्ली (स्त्री.) ( पेड़ में विद्यमान )
नयरुल्ल (वि.) नयरुल्लो (पु.) नयरुल्लं (नपु.) नयरुल्ली (स्त्री.) ( नगर में विद्यमान )
पल्लविल्ल (पु.) अथवा पल्लव (पत्ता)
पुरिल्ल (नपु.) अथवा पुर (नगर)
प्राकृतव्याकरण: सन्धि-समास-कारक -तद्धित- स्त्रीप्रत्यय-अव्यय
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