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4.
नोट : संबंध सूचक भाव को बताने के लिए प्राकृत में दो ढंग हैं
1. मेरा पुत्र सुख चाहता है ।
(क)
(ख)
2. तुम्हारा पोता घर जाता है।
मम 6/1 पुत्तो 1/1 सोक्खं इच्छइ /आदि ।
अम्हकेरो/अम्हेच्चयो 1/1 पुत्तो 1/1 सोक्खं इच्छइ आदि ।
(क)
(ख)
3. राजा का पुत्र राम को प्रणाम करता है ।
(क) राइणो 6 / 1 पुत्तो रामं 2/1 पणमइ / आदि । राइको 1 / 1 पुत्तो रामं 2 / 1 पणमइ / आदि ।
(ख)
(क)
ख)
तुह 6 / 1 पोत्तो 1/1 घरं गच्छइ / आदि ।
तुम्हकेरो/तुम्हेच्चयो 1/1 पोत्तो 1 / 1 घरं गच्छइ / आदि ।
4. पर का सुख
मेरा सुख है
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परस्स 6/1 सुहं मम 6/1 सुहं अत्थि / आदि ।
पररं/पारं/परकं/पारक्कं 1/1 सुहं मम 6/1 सुहं अत्थि /
आदि ।
'व्व' प्रत्यय : (हेम. - 2 / 150 )
'की तरह' व्यक्त करने के लिए व्व (अ) प्रत्यय का प्रयोग किया जाता है।
जैसे
महुराव्वमहुरव्व पाडलिपुत्ते पासाया संति (मथुरा की तरह पाटलीपुत्र
प्रसाद हैं)
5. 'इल्ल' और 'उल्ल' प्रत्यय : (हेम - 2/163)
'अमुक में विद्यमान / स्थित' अर्थ में प्राकृत- संज्ञा शब्दों में 'इल्ल' और 'उल्ल' प्रत्यय प्रयोग में आते हैं । जैसे
(क) गाम + इल्ल
गामिल्ल (वि.) गामिल्लो (पु.) गामिल्लं (नपु.) गामिल्ली (स्त्री.) (गाँव में विद्यमान )
प्राकृतव्याकरण: सन्धि-समास-कारक - तद्धित- स्त्रीप्रत्यय - अव्यय
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