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निम्नलिखित वाक्यों का प्राकृत में अनुवाद कीजिए । जहाँ कही विभक्तियों का अन्तर परिवर्तन नियम समान है, वहाँ दोनों प्रकार से अनुवाद कीजिए ।
1. वह पुत्री के लिए धन देता है। 2. वह धन के लिए प्रयत्न करता है। 3. हरि को भक्ति अच्छी लगती है। 4. राजा मंत्री पर क्रोध करता है। 5. मंत्री राजा को नमस्कार करता है। 6. धान भोजन के लिए पर्याप्त है। 7. वह मुक्ति की चाह रखता है। 8. माता पुत्री के लिए कथा कहती है। 9. राजा भोजन के लिए बैठता है । 10. वह राजा से ईर्ष्या करता है । 11. राम असत्य से घृणा करते है ।
पंचमी विभक्ति
1.
अपादान कारक
जिससे किसी वस्तु का अलग होना पाया जाता है, उसे अपादान कहते है । जैसे - रुक्खत्तो / रुक्खाओ / आदि पुप्फं पडइ / पडए / आदि यहाँ फूल पेड़ से अलग हो रहा है । इसी प्रकार - गामत्तो/गामाओ/आदि मित्तो आगच्छइ/ आगच्छए / आदि - (यहाँ गाँव से वियोग पाया जाता है। अतः रुक्ख और गाम में पंचमी रखी जाती है ।)
2. गुणवाचक अस्त्रीलिंग संज्ञा शब्द (पुल्लिंग, नपुंसकलिंग संज्ञा शब्द) जो किसी क्रिया या घटना का कारण बताता है, उसे तृतीया या पंचमी विभक्ति में रखा जाता है। जैसे .
(1)
(ii)
क.
(42)
ख.
1
सो मुक्खत्तो / मुक्खाओ / आदि ण सोहइ / सोहए / आदि ( वह मूर्खता के कारण नहीं शोभता है ।)
सो मुक्खेण (3/1) ण सोहइ / सोहए / आदि ( वह मूर्खता के कारण नहीं शोभता है ।)
लेकिन अस्त्रीलिंग संज्ञा शब्द गुणवाचक न होने पर तृतीया विभक्ति में ही रहते हैं । जैसे
सो धणेण उल्लसइ ( वह धन के कारण खुश होता है ।)
स्त्रीलिंग संज्ञा शब्द में तृतीया ही होती है। जैसे
सो बुद्धीए छड्डिओ (वह बुद्धि के कारण छोड़ दिया गया)
प्राकृतव्याकरण: सन्धि-समास- कारक - तद्धित- स्त्रीप्रत्यय-अव्यय
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