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________________ सन्धि-प्रयोग के उदाहरण (प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ ) निम्नलिखित का सन्धि विच्छेद कीजिए और सन्धि का नियम बतलाइये । पाठ 1 = : मंगलाचरण गा. सं. एगंतसुहावहा लोगुत्तमा दिट्ठसयलत्थसारा भवियाणुज्जोययरा पंचक्खरनिप्पण्णो पाठ 2 = समणसुत्तं मोहाउरा तस्सुदयम्मि दुक्खोहपरंपरेण मंगलमुक्किट्ठ साही जाणमजाणं खप्पमप्पाणं अत्तोवम्मेण धम्ममहिंसा नाऽऽलस्सेण जस्सेयं आहारासणणिद्दाजयं जाविंदिया = Jain Education International = = = = = 2 = = 1F 5 1= 11 = = = 3-5 ==== 8 10 = 12 3 ७ 7 15 15 19 22 24 26 32 जयमा सरणमुत्तमं पाठ 3 मगहाहिवो नंदणोवमं सुहोइयं नाइदूरमणासन्ने नाभिसमेमऽहं विम्हयन्त्रितो संपयग्गम्मि इंदासणिसमा नोवभुंजई एवमाहंसु पाठ 4 = नेच्छसि परावयारं परोवयारं = उत्तराध्ययन 33 निच्चमावहसि प्राकृतव्याकरण: सन्धि-समास-कारक -तद्धित- स्त्रीप्रत्यय - अव्यय = For Private & Personal Use Only = - = = || = = = H || = = 35 = 36 37 = 1 2 3 6 00 8 30 वज्जालग्ग में जीवन मूल्य 127 14 20 28 = 12 12 = 12 12 (9) www.jainelibrary.org
SR No.002701
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2005
Total Pages96
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size3 MB
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