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________________ तीसरा अध्याय अपभ्रंश और हिन्दी यह कहा जा चुका है कि स्वयंभू आदि की परिनिष्ठित अपभ्रंश विद्यापति आदि की परवर्ती अपभ्रंश में गतिशील हुई। लोकभाषा अपभ्रंश के स्थानीय प्रदेश-भेदों के परवर्ती अपभ्रंश में मिश्रण से आधुनिक आर्य भाषाओं का विकास हुआ। इस प्रकार अपभ्रंश भाषा ही हिन्दी और अन्य आधुनिक आर्य भाषाओं के मूल में स्थित है। "हिन्दी भाषा का क्षेत्र हिमाचल प्रदेश, पंजाब का कुछ भाग, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश तथा बिहार है जिसे हिन्दीभाषी प्रदेश कहते हैं। इस पूरे क्षेत्र में हिन्दी की पाँच उपभाषाएँ हैं, जिनके अन्तर्गत मुख्यतः 17 बोलियाँ हैंभाषा उपभाषाएँ बोलियाँ हिन्दी 1. पश्चिमी हिन्दी 1. खड़ी बोली, 2. ब्रज भाषा, 3. हरियाणवी 4. बुंदेली, 5. कन्नौजी 2. पूर्वी हिन्दी 1. अवधी, 2. बघेली, 3. छत्तीसगढ़ी 3. राजस्थानी 1. पश्चिमी राजस्थानी (मारवाड़ी) 2. पूर्वी राजस्थानी (जयपुरी) (ढूँढारी) 3. उत्तरी राजस्थानी (मेवाती) 4. दक्षिणी राजस्थानी (मालवी) 4. पहाड़ी 1. पश्चिमी पहाड़ी, 2. मध्यवर्ती पहाड़ी (कुमायूंनी गढ़वाली) 5. बिहारी 1. भोजपुरी, 2. मगही, 3. मैथिली'' परिनिष्ठित हिन्दी जो पूरे भारत की राजभाषा है, वह खड़ी बोली हिन्दी है। इसका विकास शौरसेनी अपभ्रंश से हुआ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002700
Book TitleApbhramsa Ek Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2000
Total Pages68
LanguageApbhramsa, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size3 MB
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