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________________ 40. महाकवि पुष्पदंत की रचनाओं की राजस्थान में लोकप्रियता, पं. अनूपचन्द न्यायतीर्थ, पृ. 102, जैनविद्या, अंक-2, पुष्पदंत विशेषांक, खण्ड-1, जैनविद्या संस्थान, श्रीमहावीरजी। 41. णायकुमारचरिउ, महाकवि पुष्पदंत, सम्पादक : डॉ. हीरालाल जैन, प्रस्तावना, पृ. 20, 1972, भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली। 42. वही, पृ. 20 43. महाकवि धनपाल की काव्य प्रतिभा, डॉ. योगेन्द्रनाथ शर्मा 'अरुण', पृ. 24, जैनविद्या, अंक-4, महाकवि धनपाल विशेषांक, जैनविद्या संस्थान, श्रीमहावीरजी। 44. भविसयत्तकहा का साहित्यिक महत्व, डॉ. आदित्य प्रचण्डिया, 'दीति', पृ. 37, जैनविद्या, अंक-4, महाकवि धनपाल विशेषांक, जैनविद्या संस्थान, श्रीमहावीरजी। 45. महाकवि धनपाल की काव्य प्रतिभा, डॉ. योगेन्द्रनाथ शर्मा 'अरुण', पृ. 24, जैनविद्या, अंक-4, महाकवि धनपाल विशेषांक, जैनविद्या संस्थान, श्रीमहावीरजी। 46. वही, पृ. 25 47. भविसयत्तकहा का साहित्यिक महत्व, डॉ. आदित्य प्रचण्डिया 'दीति', पृ. 31,, जैनविद्या, अंक-4, महाकवि धनपाल विशेषांक, जैनविद्या संस्थान, श्रीमहावीरजी। 48. अपभ्रंश भाषा साहित्य की शोधप्रवृत्तियाँ, डॉ. देवेन्द्रकुमार शास्त्री, पृ. 67, 68, 1996, भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली। 49. महाकवि वीर और उनका जंबूसामिचरिउ का एक समीक्षात्मक अध्ययन, डॉ. जयकिशनप्रसाद खण्डेलवाल, पृ.-17, जैनविद्या, अंक 5-6, वीर विशेषांक, जैनविद्या संस्थान, श्रीमहावीरजी। 50. वही 51. वही 52. प्राकृत और अपभ्रंश साहित्य तथा उनका हिन्दी साहित्य पर प्रभाव, डॉ. रामसिंह तोमर, पृ. 124, हिन्दी परिषद्, प्रयाग विश्वविद्यालय, प्रयाग। 53. जंबूसामिचरिउ का साहित्यिक मूल्यांकन, डॉ. आदित्य प्रचण्डिया 'दीति', पृ. 37, जैनविद्या, अंक 5-6, वीर विशेषांक, जैनविद्या संस्थान, श्रीमहावीरजी। 54. जंबूसामिचरिउ, महाकवि वीर, सम्पादक, डॉ. विमलप्रकाश जैन, पृ. 97, 98, 1968, भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली। 55. वही, पृ. 10 56. वही, पृ. 130, 131, 135, 137 57. अपभ्रंश भाषा साहित्य की शोधप्रवृत्तियाँ, डॉ. देवेन्द्रकुमार शास्त्री, पृ. 69, 1996, भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली। 58. वही 59. वही अपभ्रंश : उसके कवि और काव्य 29 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002700
Book TitleApbhramsa Ek Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2000
Total Pages68
LanguageApbhramsa, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size3 MB
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