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सूत्रों को पाँच सोपानों में समझाया गया है-1. सूत्रों में प्रयुक्त पदों का सन्धि–विच्छेद किया गया है, 2. सूत्रों में प्रयुक्त पदों की विभक्तियाँ लिखी गई हैं, 3. सूत्रों का शब्दार्थ लिखा गया है, 4. सूत्रों
का पूरा अर्थ (प्रसंगानुसार) लिखा गया है तथा 5. सूत्रों के प्रयोग लिखे गये हैं।
आशा है कि प्रौढ प्राकृत-अपभ्रंश-रचना सौरभ भाग-2 के प्रकाशन से प्राकृत व अपभ्रंश के अध्ययन-अध्यापन को गति मिल सकेगी और 'अपभ्रंश साहित्य अकादमी' अपने उद्देश्य की पूर्ति में द्रुतगति से अग्रसर हो सकेगी।
पुस्तक-प्रकाशन के लिए अपभ्रंश साहित्य अकादमी के कार्यकर्ता एवं मदरलैण्ड प्रिन्टिंग प्रेस धन्यवादाह हैं।
मंत्री
नरेन्द्र पाटनी नरेशकुमार सेठी
अध्यक्ष प्रबन्धकारिणी कमेटी देगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी
डॉ. कमलचन्द सोगाणी
संयोजक जैनविद्या संस्थान समिति श्रेयांसनाथ मोक्ष दिवस
श्रावण शुक्ल पूर्णिमा वीर निर्वाण संवत् 2528
22.8.2002
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