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________________ 34. बहुषु न्तु ह मो 3/176 बहुषु न्तु ह मो बहुषु न्तु (हः) + (मो)} बहुषु (बहु) 7/3 न्तु (न्तु) 1/1 हः (ह) 1/1 मो (मो) 1/1 (विधि आदि के प्रत्ययों के स्थान पर) (तीनों पुरुषों के) बहुवचन में (क्रमशः) न्तु, ह, मो (होते हैं)। विधि, आज्ञा एवं आशीष बोधक प्रत्ययों (अन्तु, अन्ताम् आदि) के स्थान पर अन्य पुरुष, मध्यम पुरुष, उत्तम पुरुष के बहुवचन में क्रमशः न्तु, ह, मो होते हैं। (अन्तु, अन्ताम् आदि)→ न्तु, ह, मो} (हस + न्तु) = हसन्तु. हसेन्तु (विधि, अन्य पु. बहु.) (हस + ह) = हसह, हसेह (विधि, म. पु. बहु) (हस + मो) = हसमो, हसेमो (विधि, उ. पु. बहु.) (सूत्र 3/158 से तीनों पुरुषों में अन्त्य 'अ' का ‘ए’ हुआ है) 35. वर्तमाना - भविष्यन्त्योश्च ज्ज ज्जा वा 3/177 वर्तमाना - भविष्यन्त्योश्च ज्ज ज्जा वा (वर्तमाना) + (भविष्यन्त्योः) + (च)} {(ज्जः) + (ज्जा)} वा (वर्तमाना) - (भविष्यन्ति)7/2} च =और ज्जः (ज्ज) 1/1 ज्जा (ज्जा) 1/1 वा = विकल्प से वर्तमान, भविष्यत्काल और (विधि में) (तीनों पुरुषों व दोनों वचनों के प्रत्ययों के स्थान पर) विकल्प से ज्ज (और) ज्जा (होते हैं)। वर्तमानकाल, भविष्यत्काल और विधि आदि में तीनों पुरुषोंव दोनों वचनों के प्रत्ययों के स्थान पर विकल्प से ज्ज और ज्जा होते हैं। 32 प्रौढ प्राकृत-अपभ्रंश रचना सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002699
Book TitlePraudh Prakrit Apbhramsa Rachna Saurabh Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2002
Total Pages96
LanguageHindi, Prakrit, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size3 MB
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