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(हस + इज्ज /ईअ) = हसिज्जइ/हसीअइ (वर्तमानकाल का भाववाच्य) (कर + इज्ज /ईअ) = करिज्जइ / करीअइ (वर्तमानकाल का कर्मवाच्य) नोट - हेमचन्द की वृत्ति के अनुसार कभी-कभी ईअ व इज्ज' की प्राप्ति के बिना भी कर्मवाच्य - भाववाच्य के रूप बन जाते हैं। जैसे - मए नवेज्ज या
मए नविज्जेज्ज (मुझसे नमा जाता है।) 23. सी ही हीअ भूतार्थस्य 3/162
सी ही हीअ भूतार्थस्य सी ही {(हीअः) + (भूतार्थस्य)} सी (सी) 1/1 ही (ही) 1/1 हीअ : (हीअ) 1/1 भूतार्थस्य (भूतार्थ) 6/1 (अकारान्त क्रियाओं के अतिरिक्त (स्वरान्त) आकारान्त, ओकारान्त क्रियाओं से परे) भूतार्थबोधक प्रत्ययों (त्, अत आदि) के स्थान पर (तीनों पुरुषों व दोनों वचनों में) सी, ही और हीअ (होते हैं)। अकारान्त क्रियाओं के अतिरिक्त आकारान्त, ओकारान्त क्रियाओं से परे भूतार्थ बोधक प्रत्ययों (त्, अत आदि) के स्थान पर तीनों पुरुषों व दोनो वचनों में सी, ही और ही होते हैं। [(त्, अत आदि) → सी, ही, हीअ]
भूतकाल (ठा) एकवचन
बहुवचन उत्तमपुरुष
ठासी, ठाही, ठाहीअ ठासी, ठाही, ठाहीअ मध्यमपुरुष ठासी, ठाही, ठाहीअ ठासी, ठाही, ठाहीअ अन्यपुरुष
ठासी, ठाही, ठाहीअठासी, ठाही, ठाहीअ
भूतकाल (हो) उत्तमपुरुष
होसी, होही, होहीअ होसी, होही, होहीअ मध्यमपुरुष होसी, होही, होहीअ होसी, होही, होहीअ अन्यपुरुष • होसी, होही, होहीअ होसी, होही, होहीअ
प्रौढ प्राकृत-अपभ्रंश रचना सौरभ
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