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________________ विधि एवं आज्ञा एकवचन बहुवचन उत्तमपुरुष हसमु, हसेमु (सूत्र-3/173) हसमो, हसेमो (सत्र - 3/176) मध्यमपुरुष हससु, हसहि, हसह, हसेह (सूत्र -- 3/176) हसेसु, हसेहि (सूत्र – 3/173-174) अन्यपुरुष हसउ, हसेउ (सूत्र - 3/173) हसन्तु, हसेन्तु (सूत्र - 3/176) वर्तमान कृदन्त हसन्त, हसमाण हसेन्त, हसेमाण (सूत्र - 3/181) 21. ज्जा - ज्जे 3/159 . (ज्जा) – (ज्ज)7/1} ज्जा और ज्ज (प्रत्यय) परे होने पर (क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'ए' होता है)। वर्तमानकाल, भविष्यत्काल, आज्ञार्थक व विध्यर्थक के सभी प्रकार के पुरुषवाचक प्रत्ययों के स्थान पर प्राप्त होनेवाले ज्जा व ज्ज प्रत्यय के परे रहने पर अकारान्त क्रियाओं के अन्त्य 'अ' के स्थान पर 'ए' की प्राप्ति होती है। (देखें सूत्र – 3/177) 22. ईअ - इज्जौ क्यस्य 3/160 {(ईअ) – (इज्ज) 1/2} क्यस्य (क्य) 6/1 क्य (य) = (कर्मवाच्य और भाववाच्य के प्रत्यय) के स्थान पर ईअ और इज्ज (होते हैं)। [(य) → ईअ, इज्ज] य (कर्मवाच्य और भाववाच्य के प्रत्यय) के स्थान पर ईअ और इज्ज होते हैं। ये प्रत्यय क्रिया व कालबोधक प्रत्यय के बीच लगाये जाते हैं। प्रौढ प्राकृत-अपभ्रंश रचना सौरभ 25 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002699
Book TitlePraudh Prakrit Apbhramsa Rachna Saurabh Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2002
Total Pages96
LanguageHindi, Prakrit, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size3 MB
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