________________
5. तण्हा (घट, उवसम) 7. कन्ना (लोट्ट, उट्ठ) 9. ससा (हरिस, ऊतर)
6. तणया (उवविस, धंभ) 8. कमला (वड्ढ, सोह) 10. धूप्रा (थंभ, कील)
उदाहरण
ससा/सस उवसमि/उवसमिउ/उवसमवि/उवसमिवि/उवसमे वि/उवसमे विणु/ उसमेप्पि/ज्वसमेप्पिषु उवविसउ/उवविसे उ ।
(ग-3) नीचे प्राकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञाएं तथा कोष्ठक में दो क्रियाएं दी गई हैं।
संज्ञाओं में प्रथमा एकवचन का प्रयोग करते हए निर्दिष्ट क्रियानों में से किसी एक में कहीं सम्बन्धक भूतकृदन्त के, कहीं हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिए तथा दूसरी क्रिया में भविष्यत्काल के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइए । संज्ञा, क्रिया एवं कृदन्त-रूपों के सभी विकल्प लिखिए1. घूमा (थंम, चेट)
2. सुया (कील, हरिस) 3. जात्रा (बिह, पला)
4. महिला (चुक्क, खिज्ज) 5. ससा (हरिस, घुम)
6. नणन्दा (जगड, कुद्द) 7. कन्ना (चिराव, ऊतर) 8. झुपडा (वस, हो) 9. करुणा (सोह, फुर)
10. माया (लोट्ट, चेट)
उदाहरण
घूमा/धूम थंभेवं/थं मण/थंभणहं/ थंभण हिं/थंभेवि//थंभेविणु/थंभेप्पि/ थंभेप्पिणु चेह्रसइ/चेढेसए/चेट्टिहिइ/चेट्ठिहिए ।
(घ) नीचे प्राकारान्त संज्ञाएँ प्रत्ययों-सहित दी गई हैं। उनके पुरुष, वचन मूलसंज्ञा.
लिंग एवं प्रत्यय लिखिए1. परिक्खा
2. सस
3. माया 4. करुण
5. वाय
6. प्राणा
64 ]
[ अपभ्रंश अभ्यास सौरम
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org