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अनियमित कर्मवाच्य के क्रिया-रूप
( अपभ्रंश में ) सकर्मक क्रिया में 'इज्ज' या 'इय' प्रत्यय लगाकर जो रूप बनाया जाता है वह कर्मवाच्य का नियमित क्रिया रूप कहा जाता है । जैसे- 'कर' क्रिया में 'इज्ज' या 'इय' प्रत्यय लगाकर बनाया गया - 'कर + इज्ज करिज्ज' 'कर + इ = करिय' रूप कर्मवाच्य का नियमित रूप है । काल, पुरुष और वचन का प्रत्यय जोड़ने पर उस काल, पुरुष और वचन में कर्मवाच्य का नियमित क्रिया-रूप बन जायेगा । जैसे— करिज्जइ या करियइ = वर्तमानकाल अन्य पुरुष एकवचन ।
इसके विपरीत सकर्मक क्रिया में बिना 'इज्ज' या 'इय' प्रत्यय लगाए जो रूप तैयार मिलता है, जिसमें काल, पुरुष और वचन का प्रत्यय लगा रहता है, वह कर्मवाच्य का अनियमित क्रिया रूप कहा जाता है । जैसे—
अभ्यास- 36
1. कोरड, दीसह आदि - श्रनियमित कर्मवाच्य का क्रिया - रूप ( वर्तमानकाल, अन्य पुरुष, एकवचन )
2. goवहि, बुच्चहि आदि - अनियमित कर्मवाच्य का क्रिया रूप ( वर्तमानकाल, मध्यम पुरुष एकवचन )
इनमें क्रिया को अलग नहीं किया जा सकता है । इनका ज्ञान साहित्य में उपलब्ध प्रयोगों के आधार से किया जाना चाहिए | अनियमित कर्मवाच्य के कुछ क्रियारूप संग्रहीत हैं -
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वर्तमानकाल अन्य पुरुष एकवचन
1. भ्राढप्पइ = प्रारम्भ किया जाता है। 2. कीरह = किया जाता है ।
3. खम्मइ
खोदा जाता है ।
5. घेप्पइ = ग्रहण किया जाता है । 7. चिव्वइ = इकट्ठा किया जाता है ।
4. गम्मइ = जाया जाता है । 6. चिम्मद इकट्ठा किया जाता है । 8. छिप्पद = छुत्रा जाता है ।
1. 'अपभ्रंश रचना सौरभ' पाठ 53
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[ अपभ्रंश अभ्यास सौरभ
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