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अभ्यास-35
(क) संज्ञाओं में स्वाथिक प्रत्यय जोड़कर निम्नलिखित वाक्यों को अपभ्रंश में रचना
कीजिए1. कमल खिलता है । 2. जीव प्रसन्न होता है । 3. योगी मुझको अच्छा लगता है। 4. पुत्र पिता का सम्मान करेगा। 5. सेनापति शत्रु को जीते । 6. बालक मधु चखता है। 7. अात्मा मन को प्रकाशित करती है। 8. राजा मन्त्री को धिक्कारता है। 9. माता पुत्र को लाड़-प्यार करती है। 10. पिता पुत्र को स्मरण करता है । 11. हाथी घास खावेगा। 12. मनुष्य गुरु की स्तुति करते हैं। 13. गुरु परमेश्वर की वन्दना करते हैं। 14. दामाद भोजन जीमे । 15 वृक्ष गिरता है। 16 धनुष सोहता है। 17. रत्न टूटता है । 18. घर अच्छा लगता है । 19. मौसी बैठे । 20. बहिन उठे।
उदाहरणकमल खिलता है=कमलग्र/कमलड/कमलड विप्रसइ ।
(ख) निम्नलिखित वाक्यों की अपभ्रंश में रचना कीजिए -
1. यह मनुष्य हंसता है। 2. ये मनुष्य हंसते हैं। 3. वह यह ग्रन्थ पढ़ता है। 4. वे ये ग्रन्थ पढ़ते हैं। 5. मैं इसके लिए जीता हूँ। 6. वह इनके लिए जीती है। 7. मैं यह व्रत पालता हूँ। 8. तुम क्या करते हो ? 9. जो मनुष्य थकता है वह सोता है। 10. जिसके द्वारा सोया जाता है, उसके द्वारा हसा जाता है । 11. जिसका शरीर थका हुआ है, उसका बुढ़ापा बढ़ा हुआ है। 12. मैं जिसको बुलाता हूँ, वह तुम हो। 13. जिस लकड़ी पर तुम बैठे हो, वह मेरी है। 14. वह किसका पुत्र है ? 15. तुम किन कार्यों को करते हो ? 16. कौन नाचता है ? 17. वह किससे पानी पीता है ? 18 तुम किसके लिए जीते हो? 19. तुम किस राज्य की रक्षा करते हो ? 20. किस घर में वह रहता है ?
नोट-इस अभ्यास-25 को हल करने के लिए 'अपभ्रंश रचना सौरभ' के पाठ 78 से
80 का अध्ययन कीजिए ।
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[ अपभ्रंश अभ्यास सौरम
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