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अभ्यास-34
(क) निम्नलिखित वाक्यों की अपभ्रंश में रचना कीजिए । क्रियानों के प्रेरणार्थक रूप
बनाकर वाक्य बनाइए1. वह आकाश में विमान उड़ाता है । 2. राजा राज्यों में शासन फैलावे । 3. मनुष्य घास उगाता है । 4. सेनापति सेना को छिपावेगा। 5. तुम बुढ़ापे में वैराग्य बढ़ावो । 6. साधु मनुष्य को जगाता है। 7. माता पुत्री को नचाने के के लिए रुकाती है । 8. वह मुझको हंसाती है। 9. मैं उसको जगाता हूँ। 10. तुम उसको छिपाते हो । । 1. वे उन सबको नचाते हैं। 12. नागरिक खेत में धान उगाते हैं। 13. राक्षस बच्चे को मरवाता है । 14. मौसी पुत्री को समुद्र में कुदाती है। 15 दादी पोते को नहलाती है। 16. मामा बेटी को ठहराता है। 17. पिता पुत्री को सुलावे। 18. राक्षस बालको को डराते हैं । 19. दादी बालकों को खिलाती है। 20. साधु राजा को बैठाता है ।
उदाहरणवह आकाश में विमान उड़ाता है सो णहि/णहे विमाणु प्रोड्डइ/उड्डावइ ।
(ख) निम्नलिखित वाक्यों की अपभ्रंश में रचना कीजिए । कर्मवाच्य के प्रेरणार्थक
जोड़कर वाक्य बनाइए
1. उसके द्वारा आकाश में विमान उड़ाया जाता है। 2. राजाओं द्वारा राज्य में शासन फैलाया जाता है । 3. उसके द्वारा घास उगाया जाता है। 4. सेनापति द्वारा सेना छिपाई जाती है। 5. तुम्हारे द्वारा बुढ़ापे में वैराग्य बढ़ाया जाता है। 5. साधु द्वारा मनुष्य जिलाया जाता है। 7. माता द्वारा पुत्री नचाई जाती है। 8. उसके द्वारा मैं हँसाया जाता हूँ। 9 मेरे द्वारा वह जगाया जाता है । 10. तुम्हारे द्वारा वह छिपाया जाता है । 11. उनके द्वारा वे सब
नोट-इस अभ्यास-34 को हल करने के लिए 'अपभ्रंश रचना सौरभ' के पाठ 77
का अध्ययन कीजए।
अपभ्रंश अभ्यास सौरभ ]
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