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________________ की स्तुति गाता है। 17. मामा सायंकाल में लक्ष्मी की वन्दना करता है। 18. वह यमुना में नहाता है। 19. पदार्थ झोंपड़ी में जलकर नष्ट होंगे । 20. उसका चित्त घर में लगता है । उदाहरणअाकाश में बादल गरजते हैं=णहि/णहे मेहा गज्जहिं । (ग) निम्नलिखित वाक्यों की अपभ्रंश में रचना कीजिए। वाक्यों में प्रयुक्त सम्बोधन के सभी विकल्प लिखिए1. हे स्वामी! आप हमारी रक्षा करें। 2. हे राजा ! आपके राज्य में सुख होवे । 3. हे मित्र ! तम मेरे घर पर प्रायो। 4. हे माता ! तुम बालकों को पालो। 5. हे सीता ! जंगल में दुःख होगा। 6. हे पुत्र ! सत्य बोलो। 7. हे युवती ! तुम हँसो । 8. बालको ! तुम सब पुस्तक पढ़ो ! 9. मित्रो ! आप सब राज्य से डरो। 10. साधुअो ! संयम पालो । उदाहरण हे स्वामी! आप हमारी रक्षा करें सामि तुहुँ अम्ड्इं रक्खि / रक्खे/रक्खु/ रक्खहि/रक्खेहि/रक्ख/रक्खसु/रक्खेसु । - - - - 132 [ अपभ्रंश अभ्यास सौरम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002697
Book TitleApbhramsa Abhyasa Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1996
Total Pages290
LanguageHindi, Prakrit, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size8 MB
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