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________________ अभ्यास-32 10000 (क) निम्नलिखित वाक्यों की अपभ्रंश में रचना कीजिए । वाक्यों में प्रयुक्त चतुर्थी व षष्ठी विभक्ति के सभी विकल्प लिखिए1. मेरा पुत्र सुख चाहता है । 2. राजा का पुत्र राम को प्रणाम करेगा। 3. पुत्र का सुख पिता का सुख होता है। 4. तुम्हारी माता कथा सुने । 5. मेरी पुत्री सुख चाहेगी। 6. स्वामी का भाई परमेश्वर की वन्दना करेगा। 7. तुम नर्मदा का पानी पीनो। 8. मेरे गुरु परमेश्वर का ध्यान करते हैं। 9 राजाओं के दुश्मन युद्ध करने के लिए विचार करते हैं। 10. मेरी मौसियां साड़ी खरीदती हैं। 11. उनकी पुत्रियां प्रसन्न होती हैं। 12. मेरी ननद उसका वर्णन करती है। 13. वह कवि के गीत को स्मरण करता है। 14. मामा की बहन कथा सुने । 15. मेरा मित्र उसके लिए गठरी मांगे। 16 भाई का शत्रु पुत्र को मारेगा। 17. उसकी प्रांखें दुःखती हैं । 18. मौसी का पुत्र बहिन के लिए पुस्तक खरीदे। 19. राजा का पुत्र तपस्वी की सेवा करता है। 20 भाई की पुत्री ईश्वर की स्तुति करे । 21. सेनापति की बहिन मामा के लिए मधु भेजेगी। 22. मामा की बेटी वैभव के लिए परमेश्वर की पूजा करती है । 23. तुम्हारा पुत्र आत्मा के लाभ के लिए प्रयत्न करे । 24. तुम साधु के लिए भोजन खरीदो। 25. दादी पोते के लिए भोजन बनाती है। 26. उसकी बहिन छिपे । 27. ननद की बेटी सोयेगी। 28. मौसी का बेटा उसका उपकार करेगा। 29. तुम्हारा पुत्र मेरे पुत्र को क्षमा करे। 30. तुम्हारे भाई मुनियों की गिनती करेंगे। 31. प्रभु तुम्हारे पुत्र की रक्षा करे। 32. जामुन का पेड़ बढ़ता है । 33. वह हाथी के लिए खड्डा खोदता है । 34. सास उसकी बहू को लाड़-प्यार करती है। 35. वह तृप्ति के लिए भोजन खाता है । 36. तुम प्राणियों के लिए वस्त्र प्राप्त करो। 37. मन्त्री का पुत्र राजा को नमस्कार करे । 38. राम का सुख मेरा सुख है । 39. सीता की माता कथा सुनेगी। 40. राज्य का शासन उसकी रक्षा करेगा। 41. स्वामियों के भाई उसको नमस्कार करते हैं। 42. कवियों के गुरु नोट-इस अभ्यास-32 को हल करने के लिए 'अपभ्रंश रचना सौरभ' के पाठ 65 से 68 का अध्ययन कीजिए । अपभ्रंश अभ्यास सौरभ ] [ 129 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002697
Book TitleApbhramsa Abhyasa Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1996
Total Pages290
LanguageHindi, Prakrit, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size8 MB
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