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________________ अभ्यास-31 (क) निम्नलिखित वाक्यों को अपभ्रंश में रचना कीजिए । संज्ञा, कृदन्त व क्रिया-रूपों का एक विकल्प लिखिए1. स्वामी रघुपति को नमन करते हुए उठता है। 2. वह गांव के मुखिया की सेवा करता हुअा थकेगा। 3 वे दोनों मधु को चखते हुए लालच करते हैं। 4. सिंह बालक को खाते हुए मारता है। 5. माता पुत्री को लाड-प्यार करती हुई खुश होवेगी । 6. पुत्री गीत गातो हुई नाचे । 7. पिता खेत को सींचता हुया थकेगा। 8. तुम ईश्वर की स्तुति करते हुए वन्दना करो। 9. बहिन पुत्र को मारती हुई अफसोस करती है। 10. वह पुत्र को भेजती हुई रोती है । 11. हम सब परमेश्वर की स्तुति करने के लिए उठे । 12. तुम तृप्ति प्राप्त करने के लिए प्रयास करोगे। 13. पिता पुत्री को कहने के लिए उत्साहित होता है । 10. वे सब रस्सी बांधने के लिए प्रयत्न करें। 15. महिला गाय को देखने के लिए उठती है। 16. वह वस्तु खरीदने के लिए जावेगी। 17. सेनापति शत्रु को मारने के लिए भागता है। 18. दादा पोते को बधाई देने के लिए जाता है । 19. तुम कथा सुनने के लिए उठो। 20. मैं भोजन को चबाने के लिए प्रयत्न करती हैं। 21. स्वामी रघुपति को नमन करके प्रसन्न होता है। 22. कवि गुरु को प्रणाम करके बैठता है। 23. तुम भक्ति करके जीओ । 24. तुम तृप्ति प्राप्त करके खुश होवोगे । - 25. वे गायों को देखकर उठते हैं । 26. ऋषि परमेश्वर की वन्दना करके ध्यान करते हैं । 27. भाई रत्न चोरकर भागता है । 28. राजा परमेश्वर को स्मरण करके सोवे । 29. राक्षस बालक को पीड़ा देकर उछलता है। 30. पुत्र रस्सी को टुकड़े कर फेंकता है। उदाहरणस्वामी रघुपति को नमन करते हुए उठता है सामि रहुवइ वन्दन्तो उट्ठइ । नोट-इस अभ्यास-31 को हल करने के लिए 'अपभ्रंश रचना सौरभ' के पाठ-63 का अध्ययन कीजिए। 128 ] [ अपभ्रंश अभ्यास सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002697
Book TitleApbhramsa Abhyasa Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1996
Total Pages290
LanguageHindi, Prakrit, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size8 MB
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