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________________ 16. वह हम सबकी रक्षा करती है । 17. राजा व्रतों को पाले। 18. पुत्र सुखों को समझे । 19. पुत्री शिक्षाओं को सुने । 20. तुम उन सबकी रक्षा करो। 21. वह तुमको जानती है । 22. सीता व्रतों को पालेगी। 23. वे मनुष्यों की रक्षा करेंगे। 24. ऊंट (विभिन्न प्रकार के) धानों को चरेंगे। 25. बेटी उन सबको प्रणाम करेगी। 26. पोता उन सबको प्रणाम करेगा। 27. वे हम सबको पालते हैं । 28. हनुमान राम को प्रणाम करता है । 29 हनुमान सीता की रक्षा करता है। 30. माता बेटियों की रक्षा करे। 31. राम हनुमान को समझता है । 32. ससुर (विभिन्न प्रकार के) भोजन खाता है। 33. दादा शास्त्रों को समझते हैं। 34. नागरिक रत्नों की रक्षा करें। 35. मित्र कथा सुनेगा । 36. दादा पोतों को पालेंगे। 37. नरेश नागरिकों को जानता है । 38. राज्य राजा की रक्षा करता है ! 39. सीता कथा सुनेगी। 40. मैं तुमको प्रणाम करता हूँ। 41. राजा माता को प्रणाम करे। 42 परमेश्वर हम सबकी रक्षा करे। 43. पुत्री विभिन्न प्रकार के भोजन खायेगी। 44. सीता हनुमान को जानती है। 45. मेघ मनुष्यों को पालते हैं। 46. तुम दु:खों को जानो । 47. मैं उन सबको प्रणाम करूं। 48. वे हम सबको जानते हैं । 49. राक्षस बच्चों को खाता है । 50 तुम उन सबकी रक्षा करो । उदाहरणराजा परमेश्वर को प्रणाम करता है नरिंद/नरिंदा/नरिंदु नरिंदो परमेमर/ परमेसरा/परमेसरु पणमइ। पणमेइ/पणमए । (ग) नीचे संज्ञाएं, पुरुषवाचक सर्वनाम तथा कोष्ठक में सकर्मक क्रियाएँ दी गई हैं। मध्य में दिए गए संज्ञानों या सर्वनामों में द्वितीया एकवचन अथवा बहुवचन का प्रयोग करते हुए निर्दिष्ट-कालों में वाक्य बनाइए । सज्ञा, सर्वनाम व क्रियारूपों के सभी विकल्प लिखिए - 1. करह, तिण (चर) वर्तमानकाल 2. सीया, हणुवन्त (जाण) वर्तमानकाल 3. अम्ह, त (पणम) विधि एवं प्राज्ञा 4. णयरजण, रयण (रक्ख) विधि एवं प्राज्ञा अपभ्रंश अभ्यास सौरभ ] [ 11 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002697
Book TitleApbhramsa Abhyasa Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1996
Total Pages290
LanguageHindi, Prakrit, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size8 MB
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