SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 91
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पाठ 10 विशेषण (गुणवाचक) वे शब्द जो विशेष्य की गुण सम्बन्धी विशेषता बतलाते हैं, गुणवाचक विशेषण कहलाते हैं। यहां यह समझना चाहिए कि जो लिंग, वचन और विभक्ति विशेष्य की होती है वही लिंग, वचन और विभक्ति विशेषण की रहेगी। कुछ विशेषण शब्द निम्नलिखित हैं मपु. सुन्दर थिर विसाल स्त्री. सुन्दरा/सुन्दरी थिरा विसाला वित्थिपण एक्कल्ल पियार विशेषण शब्द सुन्दर (सुन्दर) सुन्दर थिर (स्थिर) थिर विसाल (विशाल) विसाल वित्थिण्ण (विस्तारवाला) वित्थिण्ण एक्कल्ल (अकेला) एक्कल्ल पिनार (प्यार) पियार प्रउन्ध (अपूर्व) चल (चंचल) चल भोसण (भयंकर) भीसण पवित्त (पवित्र) पवित्त गम्भीर (गम्भीर) सार (श्रेष्ठ) सार धार (धारण करनेवाला) धार पेसणगार (प्राज्ञाकार) पेसणगार वित्थिण्णी एक्कल्ला/एक्कलिया पिप्रारी अउव्वा प्रउव अउव्व चल चला भीसण पवित्त गम्भीर गम्भीर सार धार भीसणा/भीसणी पवित्ता गम्भीरी सारी घारी पेसणगारी/पेसणयारी (प.च 83.3) धीरी दुल्लहा पेसणगार धीर धीर धीर (धर्यवान) दुल्लह (दुर्लभ) दुल्लह दुल्लह 82 ] [ प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002695
Book TitlePraudh Apbhramsa Rachna Saurabh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1997
Total Pages202
LanguageApbhramsa, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy