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पाठ 8 विशेषण (विविध संख्यावाची शब्द)
(i) दोनों, तीनों, चारों, पांचों, दसों, पचासों आदि समुदायवाचक संख्याओं को प्रकट करने के लिए सख्या के प्रथमा, द्वितीया आदि में सख्यावाचक शब्द के आगे 'वि' या 'मि' जोड़ दिया जाता है । जैसे
वे वि पयण्ड वे वि विज्जाहर । (53.8 प.च.) -दोनों प्रचण्ड (थे), दोनों विद्याधर (थे)। वेणि वि अञ्जण-मन्दोयरि-सुप्र । (53.8 प.च.) -दोनों अंजना और मंदोदरी के पुत्र थे । वेणि मि समरङ्गणे अतुअ-वल । (43.16 प.च.) -दोनों ही रण-प्रांगण में अतुल बलवाले (थे)।
(ii) दुगुना, तिगुना आदि प्रावृत्तिवाचक शब्दों को प्रकट करने के लिए संख्या शब्दों के आगे 'गुरण' शब्द जोड़ दिया जाता है और फिर विशेष्य के लिंग व वचन के अनुसार रूप चलाए जाते हैं
दुगुण/दुउण/दूण (=दुगुना); तिगुण (=तिगुना); चउगुण (=चौगुना) पंचगुण (=पंचगुना)।
(iii) 'सब', 'बहुत', 'कुछ', 'कोई' आदि अनिश्चय-संख्यावाचक शब्दों के लिए निम्न प्रकार समझा जाना चाहिए --
सयल-सब
'क' सर्वनाम के साथ 'वि' या 'मि' जोड़ देने से कोई, किसी, कुछ आदि अनिश्चयवाचक विशेषण बन जाते हैं (वाक्य 1 से 6), 'कई' के साथ वि या मि जोड़ देने से अर्थ 'कुछ' हो जाता है ।
संकलित वाक्य प्रयोग(1) 1. को वि फलई तोडेप्पिणु भक्ख इ । (2.12 प.च.)
--कोई फलों को तोड़कर खाता है ।
प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ ]
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