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(स्त्रीलिंग शब्दों में) 'डि' के स्थान पर 'हि' (होता है)। अपभ्रंश में प्राकारान्त, इकारान्त और उकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों में 'डि' (सप्तमी एकवचन के प्रत्यय) के स्थान पर 'हि' होता है । कहा (स्त्री)--(कहा+ङि)= (कहा+हिं) = कहाहिं (सप्तमी एकवचन) मइ (स्त्री)-(मइ+ङि)=(मइ+हिं) =मइहिं (सप्तमी एकवचन) इसी प्रकार लच्छी, घेणु और बहू =लच्छोहि, धेहि और बहू हिं
(सप्तमी एकवचन)
23. क्लीबे जस्-शसोरि 4/353
द लीबे जस्-शसोरि [(जस्)-(शसोः)+ (इं)] पलीबे (क्लीब) 7/1 [(जस्)- (शस्) 6/2] इं (इं) 1/1 नपुंसकलिंग में 'जस्' और 'शस्' के स्थान पर 'इ' (होता है)। अकारान्त, इकारान्त और उकारान्त नपुंसकलिंग शब्दों में जस् (प्रथमा बहुवचन के प्रत्यय), शस् (द्वितीया बहुवचन के प्रत्यय) के स्थान पर 'ई' होता है। कमल (नपु)-(कमल --जस्)= (कमल+ई) = कमलई (प्रथमा बहुवचन)
(कमल+शस्)= (कमल+इं) =कमलई (द्वितीया बहुवचन) इसी प्रकार वारि और महु
=वारिई और महुइ
(प्रथमा बहुवचन) =वारिइं और महुई
(द्वितीया बहुवचन) 24. कान्तस्यात उं स्यमोः 4/354
कान्तस्यात उं [(क)+ (अन्तस्य)+ (अत:) + (उ)] स्यमो: [ (सि)+ (अमोः) ] [(क)- (अन्त) 6/1] अतः (अत्) 5/1, उं (उ) 1/1 [(सि)-(अम्) 6/2 ] (नपुंसकलिंग में ) (संस्कृत के) ककारान्त शब्द के 'प्रकार' से परे 'सि' और 'अम्' के स्थान पर '' होता है ।
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[ प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ
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