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इकारान्त और उकारान्त पुल्लिग और नपुंसकलिंग शब्दों से परे उसि (पंचमी एकवचन के प्रत्यय), भ्यस् (पंचमी बहुवचन के प्रत्यय) और ङि (सप्तमी एकवचन के प्रत्यय) के स्थान पर क्रमश. 'हे', 'हुं' और 'हि' होता है।
हरि (पु.)-(हरि-+ ङसि) = (हरि+हे) =हरिहे (पंचमी एकवचन) गामणी (पु.)-(गामणी+ङसि) = (गामणी+हे)=गामणोहे वारि (नयु) -(वारि+ङसि)=(वारि+हे)=वारिहे साहु (पु.) -(साहु + ङसि)=(साहु +हे)= साहुहे सयंभू (पु.) -(सयभू+ङसि)=(सयंभू+हे)=सयंभूहे महु (नपु) -(महु +ङसि)= (महु +हे) =महुहे हरि (पु.) -(हरि--भ्यस्)+-(हरि + हुँ)= हरि हुं (पंचमी बहुवचन) गामणी (पु.) ~~~ (गामणी+भ्यस्)=(गामणी+हु) = गामणीहुं वारि (नपु.)-(वारि+भ्यस्)= (वारि-हुं) =बारिहुं साहु (पु.) --(साहु +भ्यस्) =(साहु । हुं)=साहुहूं सयंभू (पु.) --(सयंभू+भ्यस्)=(सय भू+हु)=सयंभूहं महु (नमु.) -(महु+भ्यस्) =(महु +हुं)=महुहुं हरि (पु) -(हरि+ङि)=(हरि + हि) =हरिहि (सप्तमी एकवचन) गामणी (पु.)-(गामणी+ङि)=(गामणी+ हि)= गामणीहि वारि (नपु.) – (वारि-+-ङि)=(वारि--हि) =वारिहि साहु (पु.) - (साहु +ङि)=(साहु +हि) = साहुहि सयंभू (पु.) -(सयंभू+ङि) = (सयंभू+ हि) = सयंभूहि
महु (नपु.) -(महु -+-ङि) = (महु + हि)= महुहि 12. प्राट्टो णानुस्वारौ 4/342
प्राट्टो णानुस्वारी [ (प्रात्) + (ट:)+(ण)+ (अनुस्वारौ)] प्रात् (अ) 5/12: (टा) 61 [ (ण)-(अनुस्वार) 1/2]
112 ]
[ प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ
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