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________________ 2. कहि मि गायण गाइय । -कहीं पर गायन गाये गये । 3. कहिं वि कहि जि मेह गज्जन्ति । -कहीं पर मेघ गरजते हैं । 4. कत्थइ विचित्त सरवर लक्खिन । - कहीं पर विचित्र तालाब देखे गये । (4) 1. रावणहो पासु दूउ पेसिउ । -रावण के पास दूत भेजा गया। 2. तुहुं रह पच्छए/पच्छले जान। - तुम रथ के पीछे जाओ। 3. सो रह पुरे अग्गले चलेसइ । -वह रथ के आगे चलेगा। 4. एहो पक्खि उप्परि उड्डेइ । -यह पक्षी ऊपर उड़ता है । 5. पत्थर हेट्टि देखिन। -पत्थर नीचे देखे गये। 6. सो महु पासहो प्रोसरिउ । -वह मेरे पास से हट गया। 7. सो दूरहो/दूरें धावन्तु महु पासु आवइ । -वह दूर से दौड़ता हुआ मेरे पास आता है। संकलित वाक्य-प्रयोग (1) 1. दसरह-जणय वे वि गय तेत्तहे । पुरवरु करतुकमंगलु जेत्तहे । (21.2 प.च.) -दशरथ और जनक दोनों वहाँ गये जहाँ कौतुकमंगल श्रेष्ठ नगर (था)। __2. एत्थु ण हरिसु विसाउ करेवउ । (28.12 प.च.) -यहाँ हर्ष और शोक नहीं किया जाना चाहिए। प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ ] [ 3 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002695
Book TitlePraudh Apbhramsa Rachna Saurabh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1997
Total Pages202
LanguageApbhramsa, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size5 MB
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