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अकारान्त पुल्लिंग और नपुंसकलिंग शब्दों में टा (तृतीया एकवचन का प्रत्यय ) परे होने पर अन्त्य 'प्र' का 'ए' हो जाता है ।
देव (पु) - ( देव + टा) = (देवे + टा) टाण और अनुस्वार (-) (4/342) .: (देवे + टा ) = (देवे + ग ) = देवेण ( तृतीया एकवचन ) (देवे +टा) = (देवे + ) = देवें (तृतीया एकवचन )
कमल (नपु . ) - ( कमल + टा) = (कमले + टा) टा = ण और अनुस्वार ( ं) (4/342)
4 ङिनेचच
4/334
ङिनेच्च [ (ङिना ) + (इत्) + (च)]
ङिना (ङि ) 3 / 1 इत् ( इत्) 1 / 1 च (अ) = और।
. . ( कमले + टा ) = ( कमले + ग ) = कमलेर (तृतीया एकवचन ) ( कमले + टा) = ( कमले + + ) = कमलें (तृतीया एकवचन )
(अकारान्त शब्दों में) (ङि परे होने पर) ङि सहित ( अन्त्य अ ) ( के स्थान पर) इत् इ और ( एत् ए होते हैं) ।
अकारान्त पुल्लिंग और नपुंसकलिंग शब्दों में ङि परे होने पर ङि (सप्तमी एकवचन के प्रत्यय) सहित अन्त्य 'अ' के स्थान पर 'इ' और 'ए' होते हैं । देव (पु.) - (देव + ङि) = देवि (सप्तमी एकवचन ) (देव + ङि) = देवे ( सप्तमी एकवचन )
5. भिस्येद्वा
कमल (नपु.)- (कमल + ङि)
कमलि (सप्तमी एकवचन ) ( कमल + ङि) = कमले ( सप्तमी एकवचन )
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भिस्येद्वा [ ( भिसि ) + (एत्)+(वा)]
भिसि (भिस्) 7/1 एत् ( एत्) 1 / 1 वा (प्र) = विकल्प से ।
(अकारान्त शब्दों में) भिस् परे होने पर एत्-ए विकल्प से (होता है) ।
अकारान्त पुल्लिंग और नपुंसकलिंग शब्दों में भिस् (तृतीया बहुवचन का प्रत्यय ) परे होने पर अन्त्य 'अ' का 'ए' विकल्प से होता है ।
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[ प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ
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