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________________ अनुभाग बंध करने वाला अन्यतर मनुष्य या संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंच जीव है। तिर्यंच व मनुष्यायु के सबंध में भी यही कथन है। किन्तु विशेषता इतनी हैं कि यहां तत्प्रायोग्य विशुद्ध परिणाम वाला और उत्कृष्ट अनुभाग बंध करने वाला जीव कहना चाहिए। देवायु के उत्कृष्ट अनुभाग बंध का स्वामी साकार जागृत तत्प्रायोग्य विशुद्ध परिणाम वाला और उत्कृष्ट अनुभाग बंध करने वाला अन्यतर अप्रमत्त संयत जीव है। नरकगति व नरकगत्यानुपूर्वी का उत्कृष्ट संक्लेश परिणाम वाला और उत्कृष्ट अनुभाग बंध को करने वाला अन्यतर मनुष्य या पंचेन्द्रिय तिर्यंच जीव है। मिथ्यादृष्टि साकार जागृत नियम से उत्कृष्ट अनुभाग बंध करने वाला अन्यतर देव और नारकी, तिर्यंच गति असम्प्राप्तासृपाटिका संहनन और तिर्यग्गत्यानुपूर्वी के उत्कृष्ट अनुभाग बंध का स्वामी है। सम्यग्दृष्टि साकार, जागृत, सर्वविशुद्ध और उत्कृष्ट अनुभाग बंध करने वाला अन्यतर देव और नारकी जीव मनुष्य गति, औदारिकशरीर, औदारिक आंगोपांग, वजर्षभनाराच संहनन और मनुष्यगत्यानुपूर्वी के उत्कृष्ट अनुभाग बंध का स्वामी है। देवगति, पंचेन्द्रिय जाति, वैक्रियिकशरीर, आहारकशरीर, तैजसशरीर, कार्मणशरीर, समचतुरस्र संस्थान, वैक्रियिक आंगोपांग, आहारक आंगोपांग, प्रशस्त स्पर्श, रस, गंध, वर्ण, देवगत्यानुपूर्वी, अगुरुलघु, परघात, उच्छ्वास, प्रशस्तविहायोगति, त्रसचतुष्क, स्थिर, शुभ, सुस्वर, सुभग, आदेय, निर्माण व तीर्थंकर के उत्कृष्ट अनुभाग बंध का स्वामी अन्यतर क्षपक अपूर्वकरण जो परभव संबंधी नामकर्म की प्रकृतियों का अंतिम समय में उत्कृष्ट अनुभाग बंध करने वाला है वह जीव है। एकेन्द्रिय जाति और स्थावर के उत्कृष्ट अनुभाग बंध का स्वामी मिथ्यादृष्टि, साकार-जागृत, नियम से उत्कृष्ट संक्लेश परिणाम वाला और उत्कृष्ट अनुभाग बंध करने वाला अन्यतर सौधर्म और ईशान कल्प का देव है। आतप प्रकृति के उत्कृष्ट अनुभागबंध का स्वामी संज्ञी, साकार, जागृत तत्प्रायोग्य विशुद्ध परिणाम वाला और उत्कृष्ट अनुभाग बंध करने वाला अन्यतर तीन गति का जीव है। उद्योत प्रकृति के उत्कृष्ट अनुभाग बंध का स्वामी मिथ्यादृष्टि सर्वपर्याप्तियों (74) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002694
Book TitleKarma Vipak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinod Jain, Anil Jain
PublisherNirgrantha Granthamala
Publication Year2004
Total Pages124
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size5 MB
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