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18 8 5 चंद्र नाग बसु पंच गिनि, संवत माधव मास। सुक्ल सु त्रतिया जीव जुत, तादिन ग्रंथ प्रकास।
अर्थात् संवत् 1885 वि. कहीं-कहीं दो-दो शब्दों का अंक-युग्म बनाकर भी समय की सूचना दी गई है जैसे -
तेरस शुक्ला पौष गुरु, कविन किऔ निरधार।
6 1 1 9 षट शशि शशि रस समझिकै, सुरता सोच-विचार।।
अर्थात विक्रम संवत् 1961 अंक-सूचक शब्दों की सूची - 0. शून्य, ख, गगन, आकाश, अम्बर, अभ्र, वियत्, व्योम, अन्तरिक्ष, नभ, पूर्ण,
रन्ध्र आदि। + बिन्दु, छिद्र। 1. आदि, शशि, इन्दु, विधु चन्द्र, शीतांशु, शीतरश्मि, सोम, शशांक, सुधांशु,
अब्ज, भू, भूमि, क्षिति, धरा, उर्वरा, गो, वसुंधरा, पृथ्वी, क्षमा, धरणी, वसुधा, इला, कु, मही, रूप, पितामह, नायक, तनु, आदि। + कलि, सितरुच, निशेश, निशाकर, औषधीश, क्षपाकर, दाक्षायणी-प्राणेश,
जैवातृक। 2. यम, यमन, अश्विन, नासत्य, दस्र, लोचन, नेत्र, अक्षि, दृष्टि, चक्षु, नयन, ईक्षण, पक्ष, बाहु, कर, कर्ण, कुच, ओष्ठ, गुल्फ, जानु जंघा, द्वय, द्वन्द्व,
युगल, युग्म, अयन, कुटुम्ब, रविचन्द्रौ आदि। + श्रुति, श्रोत्र।। 3. राम, गुण, त्रिगुण, लोक, त्रिजगत् भुवन, काल, त्रिकाल, त्रिगत, त्रिनेत्र,
सहोदरा, अग्नि, वह्नि, पावक, वैश्वानर, दहन, तपन, हुताशन, ज्वलन, शिखिन, कृशानु, होत आदि। + त्रिपदी, अनल तत्व, त्रैत, शक्ति, पुष्कर,
संध्या, ब्रह्म, वर्ण, स्वर, पुरुष, अर्थ, गुप्ति । 1. हम्मीररासो : जोधराज, ना. प्र. सभा काशी 2. भीमविलास : शंकरराव कृत, सम्पादक डॉ. महावीरप्रसाद शर्मा, पृ. 54
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सामान्य पाण्डुलिपिविज्ञान
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