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________________ त्रुटिनाम चिह्ननाम चिह्न ये चिह्न विभक्ति और ये जोड़े से अंक आते हैं, जिनमें वचन में भ्रांति न हो से पहला अंक विभक्ति द्योतक इसलिए लगाये जाते हैं। (1= प्रथमा 6= षष्ठी आदि) तथा दूसरा वचन-द्योतक होता है। (1 = एकवचन, 2 = द्विवचन 3 = बहुवचन) जैसे 11 का अर्थ है प्रथमा एकवचन। 13. पदों के अन्वय में भ्रांति* अन्वयदर्शक चिह्न शिरोभाग पर अन्वय क्रम 3 1 द्योतक अंक यथा न ततोऽर्थान्तरं 4 2 स्वसंवेदन प्रत्यक्षम् यहाँ 1 संख्या वाला पद पहले; 2 का उसके बाद, 3 उसके बाद तथा उसके बाद 4 अंक वाला इस क्रम में अन्वय होता है। ठीक अन्वय हुआ; ततोऽर्थान्तरं प्रत्यक्षं न स्वसंवेदनम्। 14. विशेषण-भ्रम विशेषण विशेष्य संबंध U, विशेष्य-भ्रम* दर्शक चिह्न कभी-कभी वाक्यों में, प्रायः लम्बे वाक्यों में विशेषण कहीं और विशेष्य कहीं पढ़ पाता है तब शिरोपरि लगाये गये उक्त चिह्नों से विशेषण-विशेष्य बताये जाते हैं, इससे भ्रान्ति नहीं हो पाती। 15. टिप्पणी 16. किसी शब्द का किसी दूसरे पद से विशिष्ट संबंध दिखने का चिह्न ऊपर के चिह्नों में ___पुष्पांकित चिह्न पाठक की सुविधार्थ लगाए गए हैं। पाण्डुलिपि-ग्रंथ : रचना-प्रक्रिया Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002693
Book TitleSamanya Pandulipi Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirprasad Sharma
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2003
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size8 MB
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