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________________ (1) मिलित शब्दावली में से उचित शब्द-रूप का न बनना - शब्दरूप की ठीक पहचान करने में अर्थ भी सहायक होता है। मिलित शब्दावली में से ठीक शब्दरूप पर पहुँचने पर ठीक अर्थ पाना भी आवश्यक है। लेकिन जब मिलित शब्दावली में से उचित शब्द-रूप नहीं बन पाता है तो अर्थ की समस्या बड़ी जटिल हो जाती है। इस संबंध में डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल एक उद्धरण प्रस्तुत करते हुए कहते हैं - 'भेअ करन्ता मम उवइ दुज्जण वैरिण होइ'। 1/22 "बाबूरामजी ने 'मेअक हन्ता मुज्झुञई' पाठ रखा है जो 'क' प्रति का है। अक्षरों को गलत जोड़ देने से यहाँ उन्होंने अर्थ किया है - यदि दुर्जन मुझे काट डाले अथवा मार डाले तो भी बैरी नहीं। उन्होंने टिप्पणी में भेअ कहन्ता' देते हुए अर्थ दिया है - 'यदि दुर्जन मेरा भेद कहदे'। शिव प्रसाद सिंह ने इसे ही अपनाया है । वास्तव में 'अ' प्रति से इसके मूलपाठ का उद्धार होता है। मूल का अर्थ है - मर्म का भेद करता हुआ दुर्जन पास आवे तो भी शत्रु नहीं होगा। उवई < प्रा. - अवह. धातु, जिसका अर्थ पास आना है।'' अग्रवाल साहब के उक्त कथन पर टिप्पणी करते हुए डॉ. सत्येन्द्र कहते हैं - "इस विवेचन से एक ओर तो यह स्पष्ट होता है कि 'मिलित शब्दावली' में से शब्द-रूप बनाते समय अक्षरों को गलत जोड़ देने से गलत शब्द बन जाता है। भेअ कहन्ता/करन्ता, में से 'भेअक' बनाने में 'कहन्ता' या 'करन्ता' के 'क' को भेअ से जोड़कर भेअक' बना दिया है। यह गलत शब्द बन गया। इससे अर्थ गलत हो गया, उलझ गया और समस्या बनी रह गयी। 2 (2) किसी अपरिचित शब्द को परिचित शब्दों की कोटि में लाने की असमर्थता : अर्थ-समस्या का दूसरा कारण किसी अपरिचित शब्द को परिचित शब्दों की कोटि में लाने की असमर्थता है। इसका उदाहरण उपर्युक्त 'कीर्तिलता' के उदाहरण में प्रयुक्त 'उवइ' शब्द है। यह एक अपरिचित शब्द है जिसे पूर्व टीकाकारों ने ग्रहण नहीं किया। 'उवइ' प्राकृत-अवहट्ट का रूपान्तर था, जिसका अर्थ पास आना है। 1. कीर्तिलता : प्रा. वासुदेवशरण अग्रवाल, पृ. 19-20 2. पाण्डुलिपिविज्ञान, पृ. 331 शब्द और अर्थ : एक समस्या ' 189 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002693
Book TitleSamanya Pandulipi Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirprasad Sharma
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2003
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size8 MB
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